अभी तक संविधान को समझ नहीं पाए कांग्रेस के नेता
केंद्रीय मंत्री का कहना है महाभियोग के नाम पर कांग्रेस देश की जनता को बड़गलाने में लगी है। इसके पीछे कांग्रेस का मकसद न्याय प्रणाली में लोगों के भरोसे को तोड़ने जैसा है। कांग्रेस का यह कदम सिर्फ दिखाता है कि स्वतंत्रता के 70 वर्षों के बाद भी उन्होंने संविधान को नहीं समझा है। इस मामले में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू का फैसले का मैं स्वागत करता हूं। उन्होंने महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर अच्छा काम किया है। ऐसा कर उन्होंने एक अच्छा नजीर पेश किया है। संवैधानिक व्यवस्था को खतरे में डालने वालों को कानून की बात समझाने का सबसे बेहतर तरीका भी यही हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री का कहना है महाभियोग के नाम पर कांग्रेस देश की जनता को बड़गलाने में लगी है। इसके पीछे कांग्रेस का मकसद न्याय प्रणाली में लोगों के भरोसे को तोड़ने जैसा है। कांग्रेस का यह कदम सिर्फ दिखाता है कि स्वतंत्रता के 70 वर्षों के बाद भी उन्होंने संविधान को नहीं समझा है। इस मामले में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू का फैसले का मैं स्वागत करता हूं। उन्होंने महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर अच्छा काम किया है। ऐसा कर उन्होंने एक अच्छा नजीर पेश किया है। संवैधानिक व्यवस्था को खतरे में डालने वालों को कानून की बात समझाने का सबसे बेहतर तरीका भी यही हो सकता है।
कांग्रेस को गलत परंपरा शुरू करने से रोका
आपको बता दें कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार कांग्रेस ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्यसभा के सभापति को महाभियोग का प्रस्ताव दिया था। कानूनी विशेषज्ञों से राय लेने के बाद उपराष्ट्रपति ने सोमवार को कांग्रेस के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उनके इस निर्णय से भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में चीफ जस्टिस के नाम लगने वाले काले धब्बे का संकट टल गया । इससे न केवल भारतीय न्याय प्रणाली में गलत परंपरा की शुरुआत नहीं हो पाई। भारतीय न्याय प्रणाली में लोगों के भरोसे को भी कायम रखने का उन्होंने काम किया। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस चाहते हुए भी गलत परंपरा की शुरुआत नहीं कर पाई।
आपको बता दें कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार कांग्रेस ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्यसभा के सभापति को महाभियोग का प्रस्ताव दिया था। कानूनी विशेषज्ञों से राय लेने के बाद उपराष्ट्रपति ने सोमवार को कांग्रेस के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उनके इस निर्णय से भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में चीफ जस्टिस के नाम लगने वाले काले धब्बे का संकट टल गया । इससे न केवल भारतीय न्याय प्रणाली में गलत परंपरा की शुरुआत नहीं हो पाई। भारतीय न्याय प्रणाली में लोगों के भरोसे को भी कायम रखने का उन्होंने काम किया। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस चाहते हुए भी गलत परंपरा की शुरुआत नहीं कर पाई।