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रफाल मामला: कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, तो सरकार एमओएम जारी क्यों नहीं करती?- कांग्रेस

locationनई दिल्लीPublished: Apr 15, 2019 09:12:04 am

Submitted by:

Prashant Jha

कांग्रेस ने पीएम मोदी को इस मुद्दे पर दी खुली बहस की चुनौती
कांग्रेस का आरोप प्रधानमंत्री को सौदे पर चुप नहीं रहना चाहिए।”
चुनाव में फिर गूंजा रफाल डील का मुद्दा

anand sharma

रफाल मामला: कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, तो सरकार एमओएम जारी क्यों नहीं करती?- कांग्रेस

नई दिल्ली। रफाल डील पर फ्रांसीसी अखबार के खुलासे के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने केंद्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बीच हुई रफाल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर हुई बैठक के मिनट (एमओएम) को जारी करने की मांग की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, “भारतीय प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति के संयुक्त बयान के मसौदे में रफाल सौदे का कोई जिक्र नहीं है। हम चाहते हैं कि सरकार दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के मिनट सार्वजनिक करे।” कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि “आखिर इसमें छिपाने को क्या है?” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री को रफाल सौदे पर एक खुली बहस के लिए भी आमंत्रित किया।

सरकार क्यों नहीं देना चाहती जवाब

आनंद शर्मा ने कहा, “यदि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, तो सरकार को एमओएम जारी करना चाहिए। ऐसा न करने से यह स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री कुछ छिपा रहे हैं और वह भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने पहले ही कह दिया है कि भारत सरकार ने एक साझेदार की सिफारिश की थी।” रफाल पर गोपनीयता के नकाब पर सवाल करते हुए शर्मा ने कहा कि दो देशों के बीच कोई संयुक्त बयान आमतौर पर पहले ही तय और तैयार कर लिया जाता है। उन्होंने कहा, “..और यदि उड़ाने की स्थिति में रफाल लड़ाकू विमान को खरीदने की चर्चा हुई थी, तो संयुक्त बयान में इसे शामिल क्यों नहीं किया गया।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से कॉंट्रैक्ट क्यों छीना गया

प्रधानमंत्री को सौदे पर चुप नहीं रहना चाहिए।” उन्होंने भारतीय वायुसेना, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रफाल विनिर्माता दसॉ के शीर्ष अधिकारियों के बीच बैठक के विवरण भी साझा किए। शर्मा ने कहा, “एचएएल से कॉन्ट्रैक्ट छीना गया, जबकि दसॉ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर सहमत हुआ था। इसके बदले 36 विमानों के लिए एक सौदा किया गया और एचएएल को उससे बाहर कर दिया गया।

फ्रांसीसी अखबार का बड़ा खुलासा

गौरतलब है कि 13 अप्रैल को फ्रांसीसी अखबार ले मोंड ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राफेल सौदे के ऐलान के फौरन बाद फ्रांस सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी पर बकाया 1119 करोड़ रुपए के बकाए को माफ कर दिया था और सिर्फ 57 करोड़ रुपए में मामला रफा कर दिया था।

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