उपराष्ट्रपति ने सीजीआई के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव खारिज किया गौरतलब है कि सोमवार को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ख़ारिज कर दिया। उपराष्ट्रपति नायडू ने विपक्ष के 22 कारण गिनाते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उपराष्ट्रपति की विवेचना के अनुसार इस प्रस्ताव में एक तकनीकी कमी है। इसके मुताबिक विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर राज्य सभा की सात रिटायर किए हुए सांसदों ने हस्ताक्षर किये थे जो की महाभियोग प्रस्ताव की शर्तों की अनुसार गलत है।बता दें कि कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों ने दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव राज्य सभा में दिया था।
उपराष्ट्रपति ने संविधान विशेषज्ञों से की चर्चा इससे पहले उपराष्ट्रपति नायडू ने महाभियोग के मसले पर संविधान विशेषज्ञों से चर्चा की थी। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी के मल्होत्रा, पूर्व विधायी सचिव संजय सिंह और राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों से मुलाकात की थी। विशेषज्ञों ने उपराष्ट्रपति को सलाह दी थी कि प्रथम दृष्टया चीफ जस्टिस पर किसी कदाचार का आरोप तय करने के लिए साक्ष्य नहीं है। अनियमितता से कदाचार तय नहीं होता। संविधान के विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया कि महाभियोग का मकसद न्यायपालिका को परेशान करना है। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 124 में सीजेआई को कदाचार सिद्ध होने पर हटाने की बात है। संविधान में महाभियोग का कहीं उल्लेख नहीं है। इसका मकसद न्यायपालिका को परेशान करना है।