उनके पोते आश्रय शर्मा ने फेसबुक पोस्ट पर दादा के साथ वाली एक तस्वीर साझा की है। इसके साथ उन्होंने लिखा है कि अलविदा दादाजी, अभी नहीं बजेगी फोन की घंटी। उनके निधन से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में एक बड़ा शून्य पैदा हुआ है। बताते चले कि पंडित सुखराम के दूसरे पोते आयूष शर्मा बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की बहन अर्पिता के पति हैं।
1993-96 तक केंद्रीय संचार मंत्री रहे सुखराम शर्मा
पंडित सुखराम शर्मा की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली भेजने के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सात मई को सरकारी हैलीकॉप्टर उपलब्ध कराया था। पंडित सुखराम 1993 से 1996 केंद्रीय संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे थे। वे मंडी लोकसभा सीट पर सांसद भी रहे थे। उन्होंने पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की थी।
पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की
बतात चले कि राजनीति से पहले पंडित सुखराम सरकारी कर्मचारी थे। वो नगर पालिका मंडी में सचिव पद कार्यरत थे। 1962 में मंडी सदर से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1967 में इन्हें कांग्रेस पार्टी का टिकट मिला और फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद पंडित सुखराम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र से 13 बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
1998 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में विवादों में आए
1984 में सुखराम ने कांग्रेस के टिकट पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और बड़ी जीत के साथ संसद पहुंचे। हालांकि 1989 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर 1991 और 1996 में पंडित सुखराम शर्मा ने लोकसभा चुनावों में दोबारा जीत हासिल की। 1998 में वो तब विवादों में आए थे जब उनपर आय से अधिक संपति मामले को लेकर सीबीआई ने छापेमारी की थी। इसके बाद पंडित सुखराम को कांग्रेस ने पार्टी से निकाल दिया था।
कांग्रेस से निकलकर खुद की पार्टी बना भाजपा को दिया था समर्थन
कांग्रेस से निकलने के बाद उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस नामक खुद की पार्टी बनाई। इस पार्टी ने पूरे प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ा और पांच सीटों पर जीत हासिल की। 1998 में प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनी और पंडित सुखराम की हिविकां ने भाजपा को समर्थन देकर प्रेम कुमार धूमल को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने में योगदान दिया।
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संचार क्रांति के मसीहा कहे जाते हैं पंडित सुखराम शर्मा
पंडित सुखराम शर्मा को संचार क्रांति का मसीहा भी कहा जाता है। संचार राज्य मंत्री के रूप में उन्होंने देश भर में संचार क्रांति लाई आज भी उसका जिक्र होता है। संचार राज्य मंत्री रहते हिमाचल प्रदेश में वो संचार क्रांति ला दी थी जो शायद प्रदेश के भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बहुत देर से पहुंचती। 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने भाजपा से टिकट के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन भाजपा ने मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया। इससे नाजर होकर पंडित सुखराम दोबारा दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए थे।