लखनऊ। आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ड्रैस कोड में बदलाव के बाद रविवार को कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि आरएसएस के नए ड्रेस कोड से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनके दिल और दिमाग में सांप्रदायिकता से भरी जहरीली आइडियोलॉजी है। अब आरएसएस वाले चाहे पैंट में रहें या बिकिनी में, हमें क्या फर्क पड़ता है।
लालू भी हुए लाल-
उधर आरजेडी चीफ लालू प्रसाद ने कहा कि बीजेपी अभी पावर में है, तो वह अपने आप को अपडेट कर रही और हाफ पैंट की जगह फुल पैंट पर आ गई है।
कब-कब हुआ ड्रेस कोड में बदलाव?
संघ के गठन के समय साल 1925 से लेकर 1939 तक संघ की ड्रेस पूरी तरह खाकी थी। 1940 में व्हाइट फुल स्लीव्स वाली शर्ट लागू की गई। 1973 में लेदर शूज की जगह लॉन्ग बूट शामिल किए गए। हालांकि, रेक्सीन के शूज का भी ऑप्शन रखा गया था। 2010 में बदलाव हुआ। तब लेदर बेल्ट की जगह कैनवास बेल्ट लाया गया।