कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर
गुजरात के इस चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है क्योंकि पार्टी नेतृत्व की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। कांग्रेस को अपने विधायकों को रोकने के लिए बेंगलुरु ले जाना पड़ा वहीं अब एनसीपी भी आंखें दिखा रही है। दूसरी तरफ नोटा का बटन भी उसे परेशान कर रहा है। राज्यसभा का चुनाव दोनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। भाजपा से अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत तय मानी जा रही है। लेकिन भाजपा अपने अतिरिक्त 33 मतों के बूते तीसरी सीट पर बलवंतसिंह राजपूत को चुनाव जिताने में जुटी है।
गुजरात के इस चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है क्योंकि पार्टी नेतृत्व की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। कांग्रेस को अपने विधायकों को रोकने के लिए बेंगलुरु ले जाना पड़ा वहीं अब एनसीपी भी आंखें दिखा रही है। दूसरी तरफ नोटा का बटन भी उसे परेशान कर रहा है। राज्यसभा का चुनाव दोनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। भाजपा से अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत तय मानी जा रही है। लेकिन भाजपा अपने अतिरिक्त 33 मतों के बूते तीसरी सीट पर बलवंतसिंह राजपूत को चुनाव जिताने में जुटी है।
आगामी विस चुनाव पर पड़ेगा पटेल की जीत या हार का असर
अहमद पटेल पिछले 25 साल से कांग्रेस में अहम प्रभाव रखते रहे हैं। वो न केवल राजनैतिक तौर पर कांग्रेस के लिए अहम हैं बल्कि आर्थिक तौर पर कांग्रेस के लिए समय समय पर योगदान देते रहे हैं। गुजरात में राज्यसभा का चुनाव एक सीट तक सीमित नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव पर अहमद पटेल की जीत या हार का असर होगा। अगर कांग्रेस को कामयाबी मिलती है तो पार्टी का मनोबल ऊंचा होगा। अगर चुनाव में हाथ के हाथ में पराजय आती है तो कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
अहमद पटेल पिछले 25 साल से कांग्रेस में अहम प्रभाव रखते रहे हैं। वो न केवल राजनैतिक तौर पर कांग्रेस के लिए अहम हैं बल्कि आर्थिक तौर पर कांग्रेस के लिए समय समय पर योगदान देते रहे हैं। गुजरात में राज्यसभा का चुनाव एक सीट तक सीमित नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव पर अहमद पटेल की जीत या हार का असर होगा। अगर कांग्रेस को कामयाबी मिलती है तो पार्टी का मनोबल ऊंचा होगा। अगर चुनाव में हाथ के हाथ में पराजय आती है तो कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
चुनावी मैदान में ये चेहरे
अमित शाह
अमित शाह किसी परिचय के मोहताज नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह की अगुवाई में देश के 18 राज्यों में केसरिया झंडा लहरा है। राज्य की राजनीति से हटकर अब वो राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक दे चुके हैं।
अमित शाह
अमित शाह किसी परिचय के मोहताज नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह की अगुवाई में देश के 18 राज्यों में केसरिया झंडा लहरा है। राज्य की राजनीति से हटकर अब वो राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक दे चुके हैं।
स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी केंद्र सरकार में टेक्सटाइल मंत्री हैं, फिलहाल वो सूचना प्रसारण मंत्रालय की कमान संभाल रही हैं। अहमद पटेल
अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं। यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल में सीधे तौर पर बिना किसी जिम्मेदारी के भी वे ताकतवर थे।
स्मृति ईरानी केंद्र सरकार में टेक्सटाइल मंत्री हैं, फिलहाल वो सूचना प्रसारण मंत्रालय की कमान संभाल रही हैं। अहमद पटेल
अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं। यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल में सीधे तौर पर बिना किसी जिम्मेदारी के भी वे ताकतवर थे।
बलवंत सिंह राजपूत हैं कांग्रेस के रिश्तेदार
बलवंत सिंह राजपूत, कांग्रेस को अलविदा कहने वाले कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला के रिश्तेदार है। इनके चुनावी अखाड़े में उतरने की वजह से चुनाव दिलचस्प हो गया है।
बलवंत सिंह राजपूत, कांग्रेस को अलविदा कहने वाले कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला के रिश्तेदार है। इनके चुनावी अखाड़े में उतरने की वजह से चुनाव दिलचस्प हो गया है।
दोस्ती या रिश्ते के बीच फंसे वाघेला बने किंगमेकर
वोटिंग के दिन शंकर सिंह वाघेला को अपनी रिश्तेदारी ओर दोस्ती में से किसी एक का चुनाव करना है। इसी कारण वे किंगमेकर बन गए हैं। रिश्तेदारी कुछ इस तरह है कि हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करने वाले बलवंत सिंह राजपूत रिश्ते में शंकर सिंह वाघेला के समधी हैं, जबकि अहमद पटेल पिछले 25 सालों से शंकरसिंह वाघेला के दोस्त रहे हैं। वाघेला के लिए राज्यसभा का ये चुनाव अस्तित्व का चुनाव भी है, क्योंकि वे पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए थे और अब वे कांग्रेस से भी अपना इस्तीफा दे चुके हैं। वैसे अभी तक उन्होंने बतौर विधायक अपना इस्तीफा नहीं दिया है, जिस वजह से वो राज्यसभा के लिए अपना वोट डाल सकते हैं। वाघेला पर अपने समधी को जिताने के साथ-साथ अपने बेटे का भी राजनीतिक भविष्य ताख पर रखा है। हालांकि कांग्रेस से अब तक जिन 6 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उसके पीछे लोग शंकर सिंह वाघेला को जिम्मेदार मानते हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस में अभी ऐसे सात विधायक और भी हैं जिन्होंने फिलहाल इस्तीफा तो नहीं दिया है लेकिन वे पार्टी से बगावत कर चुके हैं।
वोटिंग के दिन शंकर सिंह वाघेला को अपनी रिश्तेदारी ओर दोस्ती में से किसी एक का चुनाव करना है। इसी कारण वे किंगमेकर बन गए हैं। रिश्तेदारी कुछ इस तरह है कि हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करने वाले बलवंत सिंह राजपूत रिश्ते में शंकर सिंह वाघेला के समधी हैं, जबकि अहमद पटेल पिछले 25 सालों से शंकरसिंह वाघेला के दोस्त रहे हैं। वाघेला के लिए राज्यसभा का ये चुनाव अस्तित्व का चुनाव भी है, क्योंकि वे पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए थे और अब वे कांग्रेस से भी अपना इस्तीफा दे चुके हैं। वैसे अभी तक उन्होंने बतौर विधायक अपना इस्तीफा नहीं दिया है, जिस वजह से वो राज्यसभा के लिए अपना वोट डाल सकते हैं। वाघेला पर अपने समधी को जिताने के साथ-साथ अपने बेटे का भी राजनीतिक भविष्य ताख पर रखा है। हालांकि कांग्रेस से अब तक जिन 6 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उसके पीछे लोग शंकर सिंह वाघेला को जिम्मेदार मानते हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस में अभी ऐसे सात विधायक और भी हैं जिन्होंने फिलहाल इस्तीफा तो नहीं दिया है लेकिन वे पार्टी से बगावत कर चुके हैं।
अब कांग्रेस विधायक बैक टू गुजरात
बीते कई दिनों से बेंगलुरु के एक रिजोर्ट में रह रहे गुजरात कांग्रेस के 44 विधायक वापस अहमदाबाद लौट आए थे। इन विधायकों को अहमदाबाद से कुछ दूर आनंद के नित्यानंद रिजार्ट में ठहराया गया था। इन विधायकों को बुधवार को सीधे यहीं से मतदान के लिए विधानसभा ले जाया जाएगा। आनंद पुलिस का कहना है कि विधायकों की हिफाजत के लिए रिजार्ट के बाहर सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह मुस्तैद है।
बीते कई दिनों से बेंगलुरु के एक रिजोर्ट में रह रहे गुजरात कांग्रेस के 44 विधायक वापस अहमदाबाद लौट आए थे। इन विधायकों को अहमदाबाद से कुछ दूर आनंद के नित्यानंद रिजार्ट में ठहराया गया था। इन विधायकों को बुधवार को सीधे यहीं से मतदान के लिए विधानसभा ले जाया जाएगा। आनंद पुलिस का कहना है कि विधायकों की हिफाजत के लिए रिजार्ट के बाहर सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह मुस्तैद है।
भाजपा पर विधायकों को तोड़ने का आरोप
कांग्रेस ने 8 अगस्त को गुजरात में होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा पर अपने विधायकों को लालच और धमकी से तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए 44 एमएलए बेंगलुरू भेज दिए थे।
कांग्रेस ने 8 अगस्त को गुजरात में होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा पर अपने विधायकों को लालच और धमकी से तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए 44 एमएलए बेंगलुरू भेज दिए थे।