script2019 का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के पास नहीं है पैसा, जानें किन वजहों से आई ये कंगाली | Congress survive due to fund crisis Know What Are the Reason | Patrika News

2019 का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के पास नहीं है पैसा, जानें किन वजहों से आई ये कंगाली

Published: Sep 19, 2018 06:07:02 pm

Submitted by:

Kapil Tiwari

साल 1977 के बाद कांग्रेस पार्टी में ऐसा पहली बार हुआ है, जब फंड को लेकर इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

Rahul Gandhi

Rahul Gandhi

नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है। एक तरफ तो बीजेपी से मुकाबला करने की चुनौती है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के सामने 2019 का चुनाव भी लड़ने की चुनौती है। जी हां, देश की सबसे बड़ी पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस के सामने ऐसा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है कि उसके लिए 2019 का लोकसभा चुनाव ‘करो या मरो’ की स्थिति में आ चुका है। 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही कांग्रेस पार्टी के बुरे दिन शुरू हो गए थे और अब हालात ऐसे हो गए हैं कि 2019 का लोकसभा चुनाव उसके वजूद का सवाल बनता जा रहा है।

कांग्रेस के पास नहीं बचा है 2019 का चुनाव लड़ने का पैसा

भीषण आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में देशभर में लोक संपर्क मूवमेंट चलाने का ऐलान किया है। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर कांग्रेस पार्टी इसकी शुरुआत करेगी। इस आंदोलन के जरिए पार्टी ने अगले 45 दिन में 500 करोड़ रुपए इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा कांग्रेस के सांसद और विधायक भी अपनी एक महीने की सैलरी पार्टी हाईकमान को सौंपेंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी को 1 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है, जिसमें 2019 के लोकसभा चुनाव को खास ध्यान में रखा जा रहा है। साल 1977 के बाद कांग्रेस पार्टी में ऐसा पहली बार हुआ है, जब फंड को लेकर इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

इन सबके बीच अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर कांग्रेस की ये हालत हुई कैसे? तो इसकी कई वजह हैं।

– सबसे पहले तो इस स्थिति की वजह यही है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस को मिलने वाले फंड में तेजी से कमी आई है, जहां एक तरफ बीजेपी मालामाल होती चली गई है तो वहीं कांग्रेस को मिलने वाले फंड में इस कदर गिरावट आई कि आज चुनाव लड़ने तक के पैसे का कमी हो रही है।

– कहा ये भी जा रहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस को ये एहसास हो चुका था कि उसका दोबारा सत्ता में आना संभव नहीं है, इसीलिए पार्टी ने अपने कई उम्मीदवारों के चुनावी खर्च को उठाने तक का पैसा पार्टी के पास नहीं था या उसने लगाया नहीं, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी अपने प्रचार में पिछड़ती चली गई और भाजपा को जनता का समर्थन मिलता गया। 2014 में सत्ता विरोधी लहर को देखकर कांग्रेस ने सरेंडर कर दिया था।

– 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्यों से भी कांग्रेस का सफाया होने लगा। लोकसभा का चुनाव हार जाने के बाद महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और हरियाणा जैसे राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल गए, जिसकी वजह से कांग्रेस के पास औद्योगिक राज्यों की सत्ता का भी आधार नहीं रहा कि वो अपनी आर्थिक हालत सुधार सके।

– कांग्रेस की इस स्थिति के लिए कहीं ना कहीं नोटबंदी भी वजह है, क्योंकि नोटबंदी के बाद कांग्रेस पार्टी कैश के गंभीर संकट से गुजरी थी। देखा गया था कि खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगे थे।

– 2014 चुनाव हार जाने के बाद तो स्थिति और खराब हो गई, क्योंकि इसके बाद कांग्रेस को मिलने वाले डोनेशन,कॉर्पोरेट चंदे और पार्टी की सदस्यता में लगातार कमी ही आती चली गई। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को साल 2016-17 में राजनीतिक चंदे में 81 फीसदी की ग्रोथ मिली जबकि कांग्रेस की कमाई में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। जहां बीजेपी को 1034 करोड़ रुपये मिले तो वहीं कांग्रेस को साल 2015-16 के मुकाबले 225.36 करोड़ रुपये मिले।

– आर्थिक संकट पैदा होने की वजह से कांग्रेस का खजाना लगातार खाली होता चला गया, जिसके कांग्रेस ने अपने प्रचार और प्रशासनिक कामों में मिले चंदे से ज्यादा का इस्तेमाल किया। कांग्रेस ने करीब 96 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किए।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो