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महागठबंधन बनने से पहले ही आई दरार, टीआरएस के खिलाफ कांग्रेस-टीडीपी और लेफ्ट ने खोला मोर्चा

locationनई दिल्लीPublished: Sep 12, 2018 12:59:17 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

कांग्रेस ने तेलगू देशम पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और तेलंगाना जन समिति को जोड़कर एक महागठबंधन बनाने की तैयारी कर ली है

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महागठबंधन बनने से पहले ही आई दरार, टीआरएस के खिलाफ कांग्रेस-टीडीपी और लेफ्ट ने खोला मोर्चा

नई दिल्ली। देश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए दांव-पेंच खेले जा रहे हैं। जोर-आजमाइश का खेल जारी है। इसी बीच महागठबंधन की कोशिश परवान चढ़ती उससे पहले ही इसकी एकता में दरार पड़नी शुरू हो गई है। क्योंकि तेलंगाना में विधानसभा भंग करने वाले चंद्रशेखर राव ने एकदम इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया और महागठबंधन के घटकदलों की भौंहें चढ़ गई है। अब केसीआर के खिलाफ कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और लेफ्ट ने केसीआर के विरोध में मोर्चा खोल दिया है।
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महागठबंधन से आउट टीआरएस!
विधानसभा भंग होने के एक हफ्ते के भीतर ही कांग्रेस ने तेलगू देशम पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और तेलंगाना जन समिति को जोड़कर एक महागठबंधन बनाने की तैयारी कर ली है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के मुताबिक, शुरुआती सहमति के बाद अब सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है। जल्द ही गठबंधन की औपचारिक घोषणा हो सकती है। वहीं विपक्ष ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। बता दें कि हाल ही में कर्नाटक में जब सरकार बनी थी तब मुख्यमंत्री कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष की एकजुटता की तस्वीरें सामने आई थी। गैर भाजपा-गैर एनडीए नेताओं का जमावड़ा देखने को मिला। शपथग्रहण समारोह में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए और तीसरे मोर्चे के बड़े नेता, मुख्यमंत्री शामिल थे। लेकिन तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव नहीं पहुंचे। तभी से केसीआर ने कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया था।
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एनडीए का हाथ थाम सकते हैं केसीआर

कहा जा रहा है कि विधानसभा भंग करने और समय से पूर्व चुनाव कराने का फैसला लेने से पहले चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी से कई मुलाकातें की थी। कयासें ये भी लगाई जा रही हैं कि वह एनडीए का हाथ थाम सकते हैं। अगर टीआरएस एनडीए में शामिल होती है तो ये उसके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एन चंद्रबाबू नायडू नीत तेलुगू देशम पार्टी के एनडीए से अलग हो जाने के बाद आंध्र प्रदेश में एनडीए कमजोर सा नजर आ रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को राज्य की 119 में से 63 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 21, टीडीपी को 15, एआईएमआईएम को 7, भाजपा को 5, वाईएसआर कांग्रेस को 3, बसपा को 2 और सीपीआई, माकपा और निर्दलीय को एक-एक सीट मिलीं थीं। टीआरएस ने कांग्रेस के आठ और टीडीपी के 13 विधायकों को तोड़कर बहुमत जुटाया था।

खटाई में पड़ा तीसरा मोर्चा

इस साल तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव ने वैकल्पिक एजेंडा और वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति की जरूरत की बात कहते हुए। कई नेताओं से मुलाकात की थी। जिसमें जनता दल ( सेकुलर) नेता एच.डी देवेगौड़ा और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल रही। उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाने की बात कही थी। तब ये भी खबरें आई थी कि तीसरे मोर्चे में तेदेपा भी शामिल हो सकती है। लेकिन एनडीए से अलग हो कर और पहली बार कांग्रेस के साथ हाथ मिलने वाली टीडीपी ने भी संकेत दे दिए हैं।
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