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Coronavirus Crisis :  संसदीय समिति से सत्ता पक्ष ने बनाई दूरी, विपक्ष की बिन मांगे सरकार पर हमले की मुराद हुई पूरी

locationनई दिल्लीPublished: Jun 04, 2020 06:18:44 pm

Submitted by:

Dhirendra

 

एनडीए और गैर एनडीए सदस्यों ने बैठक में शामिल न होने की सूचना दी थी।
सत्ता पक्ष के रुख को विपक्ष ने असहयोगी रवैया बताया।
आर्थिक मंदी और प्रवासी मजदूरों की समस्या पर होनी थी चर्चा।

parliamentary Committee

सत्ता पक्ष के रुख को विपक्ष ने असहयोगी रवैया बताया।

नई दिल्ली। कोविद-19 ( Covid-19 ) संकट की वजह से एक महीने के अंदर 2 जून को गृह मामलों की स्थायी समिति ( Standing Committee ) की बैठक दूसरी बार स्थगित होने से विपक्ष को सत्ता पक्ष पर हमला बोलने का अच्छा अवसर मिल गया है। सत्ता पक्ष के इस रुख को कांग्रेस व अन्य विपक्षी सदस्यों असयोगी रवैया करार दिया है। साथ ही सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का संकेत भी दिया है।
संसद की स्थायी समिति ( Standing Committee on Parliament ) की बैठक कोरोना वायरस ( coronavirus ) महामारी की वजह से आर्थिक और प्रवासी मजदूरों ( Migrant Laborers ) के समक्ष उत्पन्न गंभीर संकट पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। बैठक स्थायी समिति के अध्यक्ष आनंद शर्मा ( Anand Sharma ) ने बुलाई थी। इस बैठक को लॉकडाउन की घोषणा के बाद संसदीय कामकाज शुरू होने का संकेत माना जा रहा है।
इस मुद्दे पर स्थायी समिति के सदस्य व सत्ता पक्ष के सांसदों का कहना है कि कोरोना संकट के दौरान यात्रा प्रतिबंधों और क्वारनटाइन ( Quarantine ) की अनिवार्यता की वजह से समिति की बैठक में शामिल होना संभव नहीं था। कुछ सदस्यों ने स्वास्थ्य संबंधी चिंता और निर्वाचन क्षेत्रों में चल रहे राहत कार्य का भी हवाला दिया था।
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संसदीय समिति में शामिल बीजेपी के एक सदस्य ने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्यों का कहना है कि यह विश्लेषण का समय नहीं है बल्कि एक्शन लेने का समय है। पूरा देश कोविद-19 से लड़ रहा है। ऐसे में बैठक आयोजित करने का क्या मतलब है? सभी सांसदों को सामूहिक रूप से प्रवासी मजदूरों की मदद करने की कोशिश करनी चाहिए। विश्लेषण और जांच हम कोरोना संकट के बाद भी कर सकते हैं।
राज्यसभा और लोकसभा सचिवालय ( Rajya Sabha and Loksabha Secretariate ) ने भी गोपनीयता के आधार पर इस बैठक को आयोजित करने की इजाजत नहीं दी थी। सचिवालय की ओर से बताया गया था कि इस तरह की बैठकों का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या किसी तकनीकी माध्यमों से करना संभव नहीं है
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इसके बावजूद स्थायी समिति के कुछ सदस्यों को उम्मीद थी कि समिति जल्द ही इस बारे में चर्चा करेगी ताकि कोविद-19 संकट से निपटने में सरकार की विफलता के पीछे सोच क्या है, का पता चल सके। कुछ सदस्यों बैठक न होने के पीछै किसी राजनीतिक मकसद से साफतौर पर इनकार किया।
बीजेपी के एक अन्य सदस्य ने कहा कि संसदीय समिति ( Parliamentary Committee ) बैठक स्थगित कर दी गई या देरी हो रही है यह बहस का मुदृदा नहीं है। अगर विपक्ष के सदस्य इस अवसर का लाभ सत्ता पर हमला बोले के लिए उठाना चाहते हैं तो तो हम उनका स्वागत करेंगे।
सत्ता पक्ष विपक्ष से डरता नहीं है। अगर वो आगे बढ़कर सरकार के फैसलों की पड़ताल करना चाहते हैं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi ) के नेतृत्व में केंद्र सरकार ( Central Government ) ने जनहित में सभी फैसले लिए हैं। इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
एक विपक्षी सांसद ने बताया कि सभी तरह की समितियां गैर-पक्षपाती होती हैं। हम केवल कोरोना संकट ( Corona Crisis) के दौरान सरकार की भूमिका आकलन करने के लिए चर्चा करना चाहते हैं। हालांकि अन्य सदस्यों की तरह मैंने भी परिस्थितियों को देखते हुए बैठक में हिस्सा लेने से इनकार किया था। इसके पीछे मेरा कोई राजनीतिक मकसद नहीं था।
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उक्त सदस्य ने कहा कि जहां तक सरकार को घेरने की बात है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विमुद्रीकरण ( Demonetisation ) और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों ( NPA ) की स्थिति के प्रभावों के बारे में जानकारी देने के लिए वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पेश होने को कहा गया था। इस तरह की बैठकें देश के बेहतर संचालन के लिए सुझाव देने के लिए होती हैं। न कि राजनीतिक हित साधने के लिए। हमें उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति सुधरेगी तो बैठकें होने लगेंगी।
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