कैट ने शुक्रवार को विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट करने के लिए दिल्ली के व्यापारियों से अपील की है। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ( Praveen Khandelwal ) ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि संगठन से जुड़े दिल्ली के 15 लाख व्यापारियों ने इस चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का निर्णय किया है। संगठन ने 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया था।
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खंडेलवाल ने कहा, ‘दिल्ली में संगठन से जुड़े करीब 15 लाख व्यापारी हैं, जो 30 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं। ऐसे में व्यापारी समाज सबसे बड़ा वोट बैंक बनकर चुनाव को प्रभावित करने में सक्षम है। पिछली बार व्यापारियों ने व्यवस्था में बदलाव के लिए केजरीवाल सरकार को वोट दिया था, जिसके कारण केजरीवाल को 67 सीटें मिलीं थीं। लेकिन इस बार भाजपा को वोट देने का हमने फैसला किया है।’
CAIT ने AAP से जताई नाराजगी
प्रवीण खंडेलवाल ने आम आदमी पार्टी से नाराजगी जताते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के व्यापारियों के लिए कुछ नहीं किया और सीलिंग जैसे मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाया। आम आदमी पार्टी ने एक भी व्यापारी को टिकट भी नहीं दिया, जबकि भाजपा ने जहां कई व्यापारियों को टिकट दिया, वहीं व्यापारियों के हित में कई फैसले भी लिए।
उन्होंने कहा कि कैट भले ही गैर राजनीतिक संगठन है मगर केजरीवाल और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 16 बार प्रयास पर भी व्यापारियों को मिलने के लिए समय नहीं दिया। दिल्ली का व्यापार जब सीलिंग से जूझ रहा था, तब अमर कॉलोनी में सीलिंग के समय केजरीवाल ने धरने पर बैठने की सार्वजानिक घोषणा की थी मगर आखिरी समय पर वो वादे से पलट गए।
भाजपा ने व्यापारियों के हितों में किए कई काम: खंडेलवाल
खंडेलवाल ने कहा कि टैक्स देने वालों को केजरीवाल सरकार ने सुविधाएं नहीं दीं, वहीं दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर पर पैसा खर्च करने की जगह इसे मुफ्त बिजली-पानी पर लुटा दिया। कैट की मांग पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा गठित व्यापारी बोर्ड को भी उन्होंने भंग कर दिया।
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भाजपा को चुनाव में समर्थन की वजह बताते हुए खंडेलवाल ने कहा की केंद्र की भाजपा सरकार ने दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग से बचाने के लिए मास्टर प्लान में कई संशोधन किए। ई-कॉमर्स कंपनियों की धांधलेबाजी के खिलाफ कैट की शिकायत पर मोदी सरकार ने संज्ञान लेते हुए पहली बार राष्ट्रीय ट्रेडर्स वेलफेयर बोर्ड का गठन किया। व्यापारियों को पेंशन देने, 10 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा देने जैसी योजनाएं शुरू कीं।