अवैध रुप से लोगों का किया गया पंजीकरण
आपको बता दें कि इस पूरे प्रकरण में यह बात सामने आई है कि श्रम विभाग ने फर्जी मजदूरों के नाम पर पंजीकरण करवाया है। शिकायत में कहा गया है कि श्रम मंत्रालय ने कई कामकाजी लोगों को भी अवैध तरीके से पंजीकरण करा दिया, जबकि कानूनन किसी भी कंपनी बनाने वालों व चालक को नौकरी करने वालों का वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है। दिल्ली सरकार पर आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने अपना वोट बैंक बचाने के लिए नियमों को ताक पर रखते हुए उन सभी लोगों का पंजीकरण दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में करा दिया जो कि इसके पात्र नहीं थे। जांच एजेंसी एसीबी अपने शुरूआती जांच में अबतक सभी आरोपों को सही पाया है और श्रम विभाग में तैनात कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
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नौकरी-पेशा और व्यापारी भी बने मजदूर
आपको बता दें कि दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में प्रावधान है कि कंस्ट्रक्शन या अन्य साइटों पर काम करने वाले मजदूरों का पंजीकरण किया जाए। इस बोर्ड में पंजीकरण होने पर सरकार की ओर से मजदूरों को 17 तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। लेकिन दिल्ली सरकार पर आरोप है कि कई लोगों को इस बोर्ड में अवैध रुप से पंजीकरण कराया। नौकरी-पेशा और बिजनेशमेन वाले लोगों को भी इस बोर्ड में पंजीकरण करा दिया। आपको बता दें कि 2002 में दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड का गठन किया गया था ताकि बेरोजगार मजदूरों को भी रोजगार ? से जोड़ा जा सके। गौरतलब है कि इसम मामले की खुलासा करने वाले सुखबीर शर्मा ने बताया है कि आम आदमी पार्टी ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को बोगस श्रमिक बनाकर दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण कराया है। उन्होंने कहा है कि इस घोटाले में कई बड़े अफसर भी शामिल हो सकते हैं, क्योंकि उनके बिना इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं है।