सचिव हेल्थ मिशन को समन जारी
च्च न्यायालय के इस आदेश से अब उबेद और अर्शी नाम के बच्चों को नैशनल पॉलिसी के तहत गोचर (एक दुर्लभ बीमारी जिसका इलाज काफी महंगा होता है) का एम्स में इलाज होगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पॉलिसी से जुड़े सचिव, सेंट्रल टेक्निकल कमिटी और डायरेक्टर, नैशनल हेल्थ मिशन आदि को समन जारी किया है।
च्च न्यायालय के इस आदेश से अब उबेद और अर्शी नाम के बच्चों को नैशनल पॉलिसी के तहत गोचर (एक दुर्लभ बीमारी जिसका इलाज काफी महंगा होता है) का एम्स में इलाज होगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पॉलिसी से जुड़े सचिव, सेंट्रल टेक्निकल कमिटी और डायरेक्टर, नैशनल हेल्थ मिशन आदि को समन जारी किया है।
ये है नैशनल पॉलिसी
केंद्र सरकार ने जून, 2017 में दुर्लभ बीमारियों के लिए नैशनल पॉलिसी तैयार की थी। इस पॉलिसी के तहत इन बीमारियों के इलाज के लिए 100 करोड़ रुपए जारी किए थे। फिर भी लोगों को इलाज का फायदा नहीं मिल रहा था। कोर्ट के पास इससे जुड़ी कई शिकायतें पहुंची थीं कि सरकारी पैसे का उन्हें फायदा ही नहीं मिल रहा। इस मामलों पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने अपने ताजा फैसले से पहले अगस्त 2017 में भी जस्टिस मनमोहन ने सरकार से इस पॉलिसी को ठीक से लागू करने को कहा था ताकि जरूरतमंदों की मदद हो सके।
केंद्र सरकार ने जून, 2017 में दुर्लभ बीमारियों के लिए नैशनल पॉलिसी तैयार की थी। इस पॉलिसी के तहत इन बीमारियों के इलाज के लिए 100 करोड़ रुपए जारी किए थे। फिर भी लोगों को इलाज का फायदा नहीं मिल रहा था। कोर्ट के पास इससे जुड़ी कई शिकायतें पहुंची थीं कि सरकारी पैसे का उन्हें फायदा ही नहीं मिल रहा। इस मामलों पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने अपने ताजा फैसले से पहले अगस्त 2017 में भी जस्टिस मनमोहन ने सरकार से इस पॉलिसी को ठीक से लागू करने को कहा था ताकि जरूरतमंदों की मदद हो सके।
कमिटी बनाने के लिए तीन महीने का समय
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि सरकार जल्द से जल्द सख्त कदम उठाकर यह देखे कि ग्राउंड लेवल पर काम ठीक से हो रहा है या नहीं। कोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को इसके लिए एक कमिटी बनाने को भी कहा है। इस कमिटी को बनाने के लिए सिर्फ तीन महीने का वक्त दिया गया है। कोर्ट ने मामले में इसबार दखल अर्जी देनेवाले एक शख्स की बीमारी से मौत के बाद दी। वह शख्स नैशनल पॉलिसी के तहत एंजाइम का महंगा इलाज नहीं करवा पाया था और उसकी मौत हो गई थी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि सरकार जल्द से जल्द सख्त कदम उठाकर यह देखे कि ग्राउंड लेवल पर काम ठीक से हो रहा है या नहीं। कोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को इसके लिए एक कमिटी बनाने को भी कहा है। इस कमिटी को बनाने के लिए सिर्फ तीन महीने का वक्त दिया गया है। कोर्ट ने मामले में इसबार दखल अर्जी देनेवाले एक शख्स की बीमारी से मौत के बाद दी। वह शख्स नैशनल पॉलिसी के तहत एंजाइम का महंगा इलाज नहीं करवा पाया था और उसकी मौत हो गई थी।