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उपराज्यपाल ने खड़ी की दिल्ली सरकार के खिलाफ 39 वकीलों की फौज

Published: Dec 15, 2017 12:58:53 pm

दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के खिलाफ अपने तरफ से बहस करने के लिए 39 वकीलों की टीम गठित की है

anil baijal
नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के खिलाफ अपने मुकदमे के लिए जोरदार तैयारी की है। उन्होंने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अपने तरफ से बहस करने के लिए 39 वकीलों की टीम गठित की है। इस मामले में दिल्ली के राजनैतिक अधिकारों के लिए सरकार और उपराज्यपाल आमने सामने हैं। इन अधिकारों में सरकारी अधिकारियों के ट्रांसफर, पदोन्नति और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई आदि शामिल हैं।
अभी एलजी और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के लिए खींचतान
वर्तमान समय में सरकारी विभागों को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के कड़वे झगड़ों की वजह से काफी असर झेलना पड़ रहा है। अब ये वकीलों की टीम एलजी के तरफ से हाईकोर्ट और केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के सामने अपना पक्ष रखेंगे।
अगले एक साल के लिए की गयी है ये नियुक्तियां
एलजी अनिल बैजल के इस नए लीगल टीम में एक नए स्थायी वकील, दो अतिरिक्त स्थायी वकील, हाईकोर्ट के लिए 11 वकीलों के विशेष पैनल और इसके अलावा 25 वकीलों को CAT समेत अन्य विभागों के लिए नियुक्त किया है। एलजी ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर कहा ‘ एलजी निम्नलिखित वकीलों को हाईकोर्ट तथा केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में दिल्ली सरकार द्वारा या उनके खिलाफ किसी संबंध में कार्यवाई, अपील, याचिका, एलपीए , ओए या दिल्ली सरकार द्वारा ‘सेवाओं’ के मामले में अन्य किसी कार्यवाई के लिए अपने सलाहकारों के पैनल में सुचना के तारिख से लेकर अगले एक साल तक कि नियुक्ति करते हुए अपनी प्रसन्नता जाहिर कर रहे हैं,
दिल्ली सरकार ने फैसले पर सवाल उठाया
सूत्रों की माने तो दिल्ली की आप सरकार ने इस फैसले पर सवाल खड़े किये हैं और कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अनदेखी की गयी है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारों के सीमांकन में जो सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला था उसे लागू किया जाना चाहिए था।
क्या है विवाद
आपको बता दें कि इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से पी चिदंबरम, गोपाल सुब्रह्मण्यम, राजीव धवन आैर इंदिरा जयसिंह जैसे नामी वकील पेश हुए थे। इनकी दलील थी कि एलजी संविधान और लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं। असंवैधानिक तरीके से काम कर रहे हैं। वहीं, केंद्र की ओर से दलील थी कि सारे प्रशासनिक अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए तो अराजकता फैल जाएगी। दिल्ली देश की राजधानी है और यह तो पूरे देश के लोगों की है। यहां केंद्र की भी सरकार है। इसलिए दिल्ली पर केंद्र का पूरा अधिकार है।

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