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कोविंद को राष्ट्रपति बना मोदी ने हिलाई दलित वोट बैंक की चूलें

Published: Jul 20, 2017 11:24:00 pm

Submitted by:

Prashant Jha

दरअसल कहा जाता कि बीजेपी अमीरों और कारोबारियों की पार्टी है। लेकिन 2014 के बाद ये अवधारणा बदल गई। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक के जो फैसले लिए हैं उसमें सबसे ज्यादा लाभ गरीबों दलितों, अनसूचित जातियों और अल्पसंख्यकों का हुआ है।

Ramnath kovind, Pm modi, amit shah

Ramnath kovind, Pm modi, amit shah

नई दिल्ली: उत्तर भारत के पहले दलित राष्ट्रपति और देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद संबोधित किया। रामनाथ कोविंद ने जीत के लिए सभी का शुक्रिया अदा किया। कोविंद ने कहा कि मेरा चयन लोकतंत्र की महानता का प्रतीक है। हालांकि उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बनना उनका लक्ष्य नहीं था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन में गरीबों का प्रतिनिधि गया है। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या एनडीए सरकार ने दलित राष्ट्रपति बनाकर मिशन 2019 फतह कर लिया है। क्या मोदी सरकार की स्थिति और मजबूत हो जाएगी? क्या बीजेपी पर दलित हितेषी नहीं होने के आरोप खत्म हो जाएंगे। 

देश में दलित अवधारणाएं बदलेगी ?
दरअसल कहा जाता कि बीजेपी अमीरों और कारोबारियों की पार्टी है। लेकिन 2014 के बाद ये अवधारणा बदल गई। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक के जो फैसले लिए हैं उसमें सबसे ज्यादा लाभ गरीबों दलितों, अनसूचित जातियों और अल्पसंख्यकों का हुआ है। हालांकि विपक्षी पार्टी इसे स्वीकार करने के हालात में नहीं है। जिसका असर भी दिख रहा है। पिछले दिनों राज्यसभा में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सत्तापक्ष पर दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर बोलने नहीं देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। वहीं कांग्रेस ने भी दलितों के मुद्दे पर सरकार पर कई बार हमले किए। लेकिन अब तो रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बन गए हैं तो इसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी लेगी। भाजपा इसे जमीनी स्तर पर ले जाएगी।खासकर उन राज्यों में जहां दलित वोट बैंक सबसे ज्यादा है। 

ओबीसी कमीशन बिल पर लगेगी मुहर
इसी तरह यूपीए सरकार के समय से लटके पड़े ओबीसी बिल के पास होने के भी आसार बढ़ गए हैं। दरअसल ये बिल काफी लंबे समय से ठंडे बस्ते में है। लेकिन ओबीसी कमीशन स्थापित करने की राह भी आसान होगी। रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी सरकार इसे अमलीजमा पहनाने की तैयारी में जुट जाएगी। जो मोदी को सीधे तौर लाभ दिलाएगा। अगर ये बिल पास हो जाता है। तो बीजेपी इसे उपलब्धि मानकर दलित कार्ड को और मजबूत करेगी। हालांकि इस बिल का अब कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है।

ये विवादित बिल भी होंगे पास

रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि भूमि अधिग्रहण समेत कई क्रुशियल बिलों के पास होने की राह आसान हो जाएगी। साथ ही सरकार का कामकाज भी सरल हो जाएगा। जिसे बीजेपी आने वाले चुनावों में भुनाने की भरसक कोशिश करेगी। 

मोदी दलित और निचली जाति में और उभर कर आएंगे
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति की नब्ज पकडऩे वाले नेता हैं। उन्हें पता है कि देश में दलित और गरीबों की अनदेखी होती आई है। लेकिन अब उन्हें हक दिलाने का वक्त आ गया है। इसी को देखते हुए जब बीजेपी झारखंड में चुनाव जीती तो पिछड़े जाति से आने वाले रघुबर दास को राज्य की कमान सौंप दी। असम में सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया गया। हरियाणा में यह जानते हुए कि जाट बिरादरी को सीएम बनाने पर सरकार का संचालन सरल रहेगा। बावजूद इसके उन्होंने मनोहर लाल खट्टर को राज्य चलाने की जिम्मेदारी दे दी। जो अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतितिनधित्व करते हैं। यानी मोदी हर मोर्चे पर ये साबित करते आ रहे हैं कि उनकी सरकार और पार्टी पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्य और दलित वर्गों की है। जाहिर है रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी ने 2019 के आम चुनाव को बीजेपी के लिए और सरल बना दिया है। 

कोविंद दलितों के बड़े चेहरे 

दरअसल रामनाथ कोविंद पिछले तीस साल से राजनीति में हैं। रामनाथ कोविंद अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए लड़ाई लड़ चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते हैं। लेकिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने चुनौती होगी कि क्या संवैधानिक पद पर बैठकर पार्टी लाइन को मजबूत करेंगे या फिर राष्ट्रपति पद की गरिमा को आगे बढ़ाएंगे। 

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