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कभी करते थे राजस्थान में राजनीति, आज दिल्ली की सड़कों पर कर रहे हैं जूता पॉलिश

locationनई दिल्लीPublished: Nov 09, 2017 08:30:05 pm

Submitted by:

ashutosh tiwari

अलवर जिला परिषद सदस्य रामावतार मेघवाल दिल्ली के पंडारा रोड पर जूते पॉलिश का काम करते हैं।

Boot Polish,District Council Member
नई दिल्ली। ऐसे समय में जबकि राजनीति को पैसा कमाने का सबसे आसान जरिया माना जाता है एक नेता ऐसे हैं जो लोगों के जूते पॉलिश कर अपना गुजारा करते हैं। हम बात कर रहे हैं अलवर जिला परिषद सदस्य रामावतार मेघवाल की, जो दिल्ली के पंडारा रोड पर जूते पॉलिस का काम करते हैं। खास बात यह है कि उनके इसी पेशे ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया भी है।
पंडारा रोड के गुलाटी रेस्टॉरेंट के सामने फुटपाथ पर बैठे रामावतार मेघवाल ने ‘पत्रिका’ से बातचीत में कहा कि मैं 1990 से यहां जूते पॉलिश का काम कर रहा हूं। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी , भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी, भूपेन्द्र यादव सहित कई राजनेता और बड़े अधिकारी जूते पॉलिश के लिए मुझे बुलाते रहे हैं। पूरी सादगी के साथ वे स्वीकार करते हैं कि बड़े लोगों से जान-पहचान के कारण उन्हें दो साल पहले राजनीति में आने का मौका मिल गया।
भाजपा के टिकट पर अलवर जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ा और 4 हजार वोटों से जीत हासिल की। रामावतार बताते हैं, ‘जीतने के बाद जिला परिषद सदस्य पैसों की डील करने लगे और मुझ पर भी ऐसा करने के लिए दबाव डालने लगे। स्थानीय नेताओं के इस व्यवहार से मेरा राजनीति से मोह भंग हो गया।’ तीन बच्चों के पिता होने की वजह से राज्य के पंचायती राज एक्ट के तहत वे अयोग्य घोषित हो जाते हैं। हालांकि उनका यह केस कोर्ट में लंबित है और फिलहाल वे सदस्य बने हुए हैं।
जन प्रतिनिधि हो कर जनता से दूर रहने के सवाल पर वे कहते हैं, ‘भले ही मैं यहां काम करता हूं लेकिन फोन के माध्यम से बानसूर की जनता से मेरा जुड़ाव लगातार बना रहता है। हर तीन महीने में होने वाली परिषद की बैठक के लिए जाता रहता हूं। वहां की जनता की समस्याएं रखता हूं लेकिन उनकी समस्याएं सुनने को कोई तैयार नहीं है।
परिवहन के साधनों का अभाव, मेडिकल सुविधाओं का अभाव, उच्च शिक्षा के लिए स्कूल कॉलेजों का अभाव और पेयजल जैसी समस्याएं परिषद की बैठक में रखते हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। इसलिए मैं सरकारी तंत्र से खफा हूं।’ रामावतार पूरी साफगोई से अपनी भी कमी स्वीकार करते हैं।
वे कहते हैं, ‘मैं कह सकता हूं कि मुझे जनता ने जिन उम्मीदों से चुना था, उन पर खरा नहीं उतर सका। जनता की समस्याएं दूर करने में पूरी तरह असफल रहा। अगर हमारे सीनियर नेता और सरकारी तंत्र हमारी मांगों को सुनते तो जरूर कुछ काम करवा पाता। रामावतार कहते हैं कि जिला परिषद सदस्यों को कोई वेतन तो मिलता नहीं है। इसलिए परिवार पालने के लिए रोजगार की तलाश में बाहर जाना पड़ता है।
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