दरअसल, एनसीपी ने मंगलवार को तय समय से पहले ही अपना पत्र राज्यपाल को भेज दिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई। बताया जा रहा है कि एनसीपी ने जो लेटर राजभवन भेजा उसमें सरकार बनाने का दावा नहीं किया गया और न ही समर्थन पत्र की बात की गई। इस लेटर में एनसीपी ने राज्यपाल से तीन दिन की मोहलत मांगी। राज्यपाल ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया और एनसीपी के पत्र को आधार बना कर केंद्रीय गृह मंत्रालय से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी।
चर्चा यह भी है कि एनसीपी के पास मंगलवार रात 8.30 बजे तक का वक्त होने के बावजूद उसने सुबह 11.30 बजे ही राज्यपाल को अपना पत्र क्यों भेज दिया। ये सवाल इसलिए भी ज्यादा अहम हैं क्योंकि इसी दौरान दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अहम बैठक चल रही थी। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आपस में बातचीत भी की। लिहाजा, कहा यह जा रहा है कि NCP की चिट्ठी ने महाराष्ट्र का समीकरण बदल दिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव पेश किया गया। हालांकि, एनसीपी नेता अजीत पवार का कहना है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेता मौजूद नहीं थे। इसलिए, राज्यपाल को पत्र भेजकर और तीन दिन की मोहलत मांगी गई थी। लेकिन, राज्यपाल ने पूरा समीकरण बदल दिया।