…तो होगी बड़ी कार्रवाई
जी हां अगर चुनाव आयोग का ये कदम सफल होता है तो राजनीतिक दलों को प्रचार नीति में बड़ा परिवर्तन करना होगा। आपको बता दें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126, इलेक्शन साइलेंस की बात कहता है जिसके मुताबिक चुनाव वाले क्षेत्र में मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक लगता है। साथ ही आयोग ने अधिनियम में अनुच्छेद 126 (2) भी जोड़ने की बात की है जिसके तहत इलेक्शन साइलेंस का दायरा बढ़ने के बाद उल्लंघन पर कार्रवाई हो पाएगी।
13 फरवरी को संसद का अंतिम सत्र
सरकार को यह बातें लगभग तीन हफ्ते पहले ही लिख कर इस पर जल्द विचार करने का आग्रह किया था, जिससे इसी वर्ष होने वाले आम चुनावों में इसे लागू किया जा सके। हालांकि अबतक कोई खास प्रगति नहीं देखी गई है। संसद का अंतिम सत्र 13 फरवरी को खत्म हो रहा है।
सरकार को यह बातें लगभग तीन हफ्ते पहले ही लिख कर इस पर जल्द विचार करने का आग्रह किया था, जिससे इसी वर्ष होने वाले आम चुनावों में इसे लागू किया जा सके। हालांकि अबतक कोई खास प्रगति नहीं देखी गई है। संसद का अंतिम सत्र 13 फरवरी को खत्म हो रहा है।
प्रिंट मीडिया भी हो दायरे में
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 के अंतर्गत मतदान से 48 घंटे पहले जनसभा और टेलीविजन प्रचार पर रोक लगाता है। 17 जनवरी को कानून सचिव को लिखे पत्र में आयोग ने प्रिंट मीडिया को भी इसके अंदर लाने की बात कही थी। आयोग के मुताबिक वर्तमान में उम्मीदवार इलेक्शन साइलेंस के दौरान भी प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार करते हैं। कई बार तो यह मतदान के दिन भी जारी रहता है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 के अंतर्गत मतदान से 48 घंटे पहले जनसभा और टेलीविजन प्रचार पर रोक लगाता है। 17 जनवरी को कानून सचिव को लिखे पत्र में आयोग ने प्रिंट मीडिया को भी इसके अंदर लाने की बात कही थी। आयोग के मुताबिक वर्तमान में उम्मीदवार इलेक्शन साइलेंस के दौरान भी प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार करते हैं। कई बार तो यह मतदान के दिन भी जारी रहता है।
अनुच्छेद 126 (2) का दायरा बढ़ा तो दायरे में होंगे ये
– इंटरनेट (सोशल मीडिया)
– रेडियो
– टेलीविजन
– केबल चैनल
– प्रिंट मीडिया (पेपर, मैगजीन और प्लेकार्ड)
– इंटरनेट (सोशल मीडिया)
– रेडियो
– टेलीविजन
– केबल चैनल
– प्रिंट मीडिया (पेपर, मैगजीन और प्लेकार्ड)