कांग्रेस ने क्यों उतरा अपना उम्मीदवार
दरअसल कांग्रेस हमेशा से राज्यसभा में मजबूत स्थिति में रही है। लेकिन इस बार उसका राज्यसभा में भी वर्चस्व टूटने के कगार पर है। फिर कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार सभी संवैधानिक पदों पर अपना लोगों को नियुक्त करने में लगी है। इसलिए कांग्रेस के पास एनडीए प्रत्याशी का विरोध करने के सिवाय और कोई चारा नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस पर भाजपा ने परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाया है।
कब कब हुआ सर्वसम्मति का विरोध
भारत के संसदीय इतिहास में 1952 के बाद से राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव अभी तक 19 बार चुनाव हुए हैं। इनमें से 14 बार उपसभापति का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ है। पांच बार मतदान के जरिए हुआ है। पहली बार इंदिरा गांधी के पीएम पद पर रहते हुए 1969 में विपक्षी पार्टियों के विरोध के चलते मतदान के जरिए उपसभापति का चुनाव हुआ था। 1992 में भाजपा ने सर्वसम्मति का विरोध किया था और नजमा हेपतुल्ला के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन 2012 में भाजपा ने सर्वसम्मति से चुनाव कराने में कांग्रेस का साथ दिया था। यही कारण है कि कांग्रेस के निवर्तमान उपसभापति पीजे कुरिएन निर्विरोध चुने गए थे।
दरअसल कांग्रेस हमेशा से राज्यसभा में मजबूत स्थिति में रही है। लेकिन इस बार उसका राज्यसभा में भी वर्चस्व टूटने के कगार पर है। फिर कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार सभी संवैधानिक पदों पर अपना लोगों को नियुक्त करने में लगी है। इसलिए कांग्रेस के पास एनडीए प्रत्याशी का विरोध करने के सिवाय और कोई चारा नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस पर भाजपा ने परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाया है।
कब कब हुआ सर्वसम्मति का विरोध
भारत के संसदीय इतिहास में 1952 के बाद से राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव अभी तक 19 बार चुनाव हुए हैं। इनमें से 14 बार उपसभापति का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ है। पांच बार मतदान के जरिए हुआ है। पहली बार इंदिरा गांधी के पीएम पद पर रहते हुए 1969 में विपक्षी पार्टियों के विरोध के चलते मतदान के जरिए उपसभापति का चुनाव हुआ था। 1992 में भाजपा ने सर्वसम्मति का विरोध किया था और नजमा हेपतुल्ला के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन 2012 में भाजपा ने सर्वसम्मति से चुनाव कराने में कांग्रेस का साथ दिया था। यही कारण है कि कांग्रेस के निवर्तमान उपसभापति पीजे कुरिएन निर्विरोध चुने गए थे।
नंबर गेम में भी कांग्रेस पीछे
वर्तमान में राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 है। इनमें से एक पद खाली है। कुल 244 सदस्यों को उपसभापति का चुनाव करना है। बहुमत के लिए 123 मैजिक नंबर है। भाजपा का दावा है कि उसे 126 सदस्यों का समर्थन हासिल है। जबकि कांग्रेस के पास घोषित तौर पर 111 सदस्यों का समर्थन है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि उसका उम्मीदवार ही जीतेगा। हालांकि कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर भी जीत का दावा किया था, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की काफी किरकिरी हुई थी। इस बार एनडीए प्रत्याशी हरिवंश की जीत से कांग्रेस की बादशाहत राज्यसभा में भी समाप्त हो जाएगी और भाजपा कांग्रेस से काफी आगे निकल जाएगी।
वर्तमान में राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 है। इनमें से एक पद खाली है। कुल 244 सदस्यों को उपसभापति का चुनाव करना है। बहुमत के लिए 123 मैजिक नंबर है। भाजपा का दावा है कि उसे 126 सदस्यों का समर्थन हासिल है। जबकि कांग्रेस के पास घोषित तौर पर 111 सदस्यों का समर्थन है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि उसका उम्मीदवार ही जीतेगा। हालांकि कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर भी जीत का दावा किया था, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की काफी किरकिरी हुई थी। इस बार एनडीए प्रत्याशी हरिवंश की जीत से कांग्रेस की बादशाहत राज्यसभा में भी समाप्त हो जाएगी और भाजपा कांग्रेस से काफी आगे निकल जाएगी।