प्रश्न- देश भर में किसान आंदोलित हैं, क्या आप उनसे बात करने की कोशिश कर रहे हैं?
बात किससे करें, अब तक किसी ने हमसे मिलने का समय ही नहीं मांगा है। यह पूरा राजनीतिक आंदोलन है। दूध खरीद कर सड़कों पर गिराया जा रहा है। यह कोई किसान या दूग्ध उत्पादक कभी नहीं करेगा। किसान को पता है कि वह आज पहले के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में हैं। उसके लिए जितना काम पिछले चार साल में हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ। विपक्ष इसे बेवजह तूल दे रहा है।
प्रश्न- आरोप है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा हो रहा?
जब कृषि के लिए प्रतिकूल वर्ष होता है और फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचता है तो बीमा की ज्यादा रकम मिलती है। लेकिन अनुकूल वर्ष में ऐसा नहीं होता। इस योजना का आकलन इतने कम समय में नहीं किया जा सकता। इसमें किसानों का रिस्क पहले के मुकाबले काफी अधिक कवर हो रहा है, जबकि उसे प्रीमियम कम देना पड़ रहा है।
जहां तक बीमा कंपनियों का सवाल है, इनका चयन राज्य सरकारें पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए करती हैं।
प्रश्न- लेकिन किसान तो इससे संतुष्ट नहीं है…
योजना बहुत अच्छी चल रही है। लेकिन हम इसकी समीक्षा भी कर रहे हैं। अब तक के काम के नतीजों और किसानों के अनुभव को आधार बना रहे हैं। प्रीमियम की दर पर भी नए सिरे से सुझाव लिए जाएंगे।
जनरल इंश्योरेंस कारपोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी री) को विभिन्न जोखिमों के मुताबिक उचित प्रीमियम तय करने के लिए एक नई व्यवस्था विकसित करने को कहा गया है। फसल बीमा में यह अग्रणी अंतरराष्ट्रीय रीइंश्योरर है। इसकी विकसित की गई व्यवस्था के अनुरूप प्रीमियम को ठीक किया जाएगा।
प्रश्न- कर्ज माफी को ले कर कोई एक नीति नहीं…
केंद्र सरकार किसानों की स्थिति बेहतर करने और उनकी आय को बढ़ाने में लगी हुई है। व्यवस्था को ठीक किया जा रहा है ताकि वे कर्ज के जाल में फंसे नहीं। कुछ राज्य सरकारें कर्ज माफी कर रही हैं। यह उनका अपना फैसला होता है।
प्रश्न- किसानों की आय बढ़ाने का वादा चार साल में कितना पूरा हुआ?
प्रधानमंत्री ने साफ कहा है कि किसानों को कृषि से जुड़े अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए हमने डेयरी कारोबार, पशुपालन, मछलीपालन और मधु उत्पादन आदि पर ध्यान दिया है। डेयरी किसानों की आय में चार साल में 30 फीसदी बढ़ोतरी हुई। दूध उत्पादन की अंतरराष्ट्रीय विकास दर 2 प्रतिशत है और अपने यहां यह 6 प्रतिशत है। मछलीपालन में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। मधुमक्खी पालन में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ई-पशुधन हाट जैसा उदाहरण दुनिया में नहीं।