न कोर्ट, न नेताओं पर भरोसा
कावेरी विवाद को लेकर किसान और किसान संगठनों का कहना है कि न तो उन्हें सरकार पर भरोसा है और न ही सर्वोच्च न्यायालय पर। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद काफी सालों से चलता आ रहा है लेकिन इतने सालों में इसका कोई हल न तो दोनों राज्यों की सरकार ने निकाला और न ही न्यायालय ने। अब यदि सर्वोच्च न्यायालय तमिलनाडु के पक्ष में फैसला सुना भी देता है तो इस बात की क्या गारंटी है कि वह हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष न करना पड़ेगा। फेडरेशन ऑफ टीएन एग्रीकल्चर एसोसिएशन के सचिव नल्लाकन्नु का कहना है कि अदालत का आदेश कौन मानता है? कर्नाटक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गए पानी छोडऩे के आदेश का खुले आम माखौल बना रहा है। आदेश की पालना नहीं होने पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ नहीं किया। क्या सर्वोच्च न्यायालय को इस मसले पर कोर्ट की अवमानना जान कर्नाटक सरकार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी?
अन्ना हजारे का मिला साथ
किसान संघ डीवीएस के अध्यक्ष अय्याकन्नु का कहना है कि अगर इस बार भी तमिलनाडु के किसानों के साथ छल हुआ तो हम राज्य व केन्द्र सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे। इस बार हमारे साथ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी होंगे जो हमारी मांगों को बल देंगे। अगर फैसला तमिलनाडु के पक्ष में नहीं आता है तो २३ फरवरी को हम किसान अन्ना हजारे के साथ फिर से दिल्ली में आंदोलन छेड़ देंगे।
कावेरी विवाद को लेकर किसान और किसान संगठनों का कहना है कि न तो उन्हें सरकार पर भरोसा है और न ही सर्वोच्च न्यायालय पर। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद काफी सालों से चलता आ रहा है लेकिन इतने सालों में इसका कोई हल न तो दोनों राज्यों की सरकार ने निकाला और न ही न्यायालय ने। अब यदि सर्वोच्च न्यायालय तमिलनाडु के पक्ष में फैसला सुना भी देता है तो इस बात की क्या गारंटी है कि वह हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष न करना पड़ेगा। फेडरेशन ऑफ टीएन एग्रीकल्चर एसोसिएशन के सचिव नल्लाकन्नु का कहना है कि अदालत का आदेश कौन मानता है? कर्नाटक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गए पानी छोडऩे के आदेश का खुले आम माखौल बना रहा है। आदेश की पालना नहीं होने पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ नहीं किया। क्या सर्वोच्च न्यायालय को इस मसले पर कोर्ट की अवमानना जान कर्नाटक सरकार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी?
अन्ना हजारे का मिला साथ
किसान संघ डीवीएस के अध्यक्ष अय्याकन्नु का कहना है कि अगर इस बार भी तमिलनाडु के किसानों के साथ छल हुआ तो हम राज्य व केन्द्र सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे। इस बार हमारे साथ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी होंगे जो हमारी मांगों को बल देंगे। अगर फैसला तमिलनाडु के पक्ष में नहीं आता है तो २३ फरवरी को हम किसान अन्ना हजारे के साथ फिर से दिल्ली में आंदोलन छेड़ देंगे।
सकारात्मक फैसले की भी दिख रही उम्मीद
जबकि इस मामले में एआईएडीएमके के प्रवक्ता केसी पलनीसामी का कहना है कि वह अपने अधिकारों को लेकर रहेंगे चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े। सरकार हर परिस्थिति में राज्य के लोगों के हक व भलाई के लिए लड़ेगी। विधानसभा में अपने बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदेश के अनुसार तमिलनाडु को ८१ टीएमसी पानी मिलना है और उसे पाने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में मैराथन सुनवाई के बाद २० सितम्बर को सुनवाई खत्म हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं एआईएडीएमके की बागी नेता सीआर सरस्वती का कहना है कि इस बार फैसला तमिलनाडु के पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट केंद्र सरकार को कावेरी नदी जल प्रबंधन बोर्ड बनाकर पानी के बंटवारे के काम की निगरानी व जिम्मेदारी दे तो बेहतर होगा।
जबकि इस मामले में एआईएडीएमके के प्रवक्ता केसी पलनीसामी का कहना है कि वह अपने अधिकारों को लेकर रहेंगे चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े। सरकार हर परिस्थिति में राज्य के लोगों के हक व भलाई के लिए लड़ेगी। विधानसभा में अपने बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदेश के अनुसार तमिलनाडु को ८१ टीएमसी पानी मिलना है और उसे पाने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में मैराथन सुनवाई के बाद २० सितम्बर को सुनवाई खत्म हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं एआईएडीएमके की बागी नेता सीआर सरस्वती का कहना है कि इस बार फैसला तमिलनाडु के पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट केंद्र सरकार को कावेरी नदी जल प्रबंधन बोर्ड बनाकर पानी के बंटवारे के काम की निगरानी व जिम्मेदारी दे तो बेहतर होगा।