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अब गडकरी का क्या होगा? पर कतरेंगे या कद बढ़ेगा

locationनई दिल्लीPublished: May 25, 2019 08:47:26 am

भाजपा में गडकरी के रोल पर उठ रहे सवाल
मोदी के नए मंत्री मंडल में क्या होगा नितिन गडकरी का हाल
काम-काज के आधार पर होगी जिम्मेदारी या फिर सपाट बयानबाजी ले डूबेगी

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अब गडकरी का क्या होगा? पर कतरेंगे या कद बढ़ेगा

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने देश में इतिहास रच दिया है। प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर नरेंद्र मोदी ने उनके चेहरे पर जताए गए भरोसे को बरकरार रखा है। मोदी और शाह की जोड़ी ने भाजपा को एक नई ऊंचाई पर ले गई। भाजपा की इस जीत में भले ही मोदी और शाह मास्टर माइंड रहे लेकिन एक नाम और है जो भाजपा में इन दोनों के साथ चर्चा में रहा। वो नाम है नितिन गडकरी का। जी हां भाजपा में मोदी-शाह के अलावा कोई सबसे ऊपर है तो वो है आरएसएस के इस पुराने सिपाही नितिन गडकरी का। चुनाव में नागपुर सीट से लड़े नितिन गडकरी के लोकसभा में दोबारा वापसी के बाद नई भूमिका पर भी चर्चा इन दिनों जोरों पर है। हर किसी के मन में ये विचार है कि अब गडकरी का क्या होगा? पर कतरे जाएंगे या फिर कद बढ़ेगा।

दरअसल पिछले लंबे समय से भाजपा में नितिन गडकरी की भूमिका को लेकर चर्चा चलती रही है। हाल में नितिन गडकरी आरएसएस नेता भैया जी से मिले। दो घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जाने लगे कि इस बार भाजपा की वापसी होती है तो नितिन गडकरी का कद बढ़ाए जाने पर विचार होगा। अब जब भाजपा एक बार फिर पूर्णबहुमत की सरकार लाने में कामयाब रही है तो नितिन गडकरी के नाम पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लेकिन दूसरी तरफ उनकी बयानबाजियां उनके लिए नकारात्मक भी साबित हो सकती हैं।
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संकट के दौर में दिया भाजपा का सहारा
साल 2009 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले नितिन गडकरी महाराष्ट्र में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रहे। महाराष्ट्र के नागपुर जिले में एक ब्रह्मण परिवार में जन्म लेने वाले नितिन गडकरी ने एलएलबी और एमकॉम तक की शिक्षा ली है। गडकरी भाजपा के उन नेताओं में शुमार हैं जिनका राजनीतिक संस्कार आरएसएस के संरक्षण में हुआ है। आरएसएस की शाखाओं के रास्ते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले गडकरी उस वक्त भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने जब उनकी पार्टी संकट के दौर से गुजर रही थी और खुद उन्हें राष्ट्रीय राजनीति का कोई अनुभव नहीं था।

शाह का विकल्प
दोबारा लोकसभा में आने के बाद चर्चा जोरों पर है कि मोदी के मंत्री मंडल में फेर बदल हो सकता है। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गृह मंत्री बनाए जाने की चर्चा भी चल रही है। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर गडकरी के दोबार अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो सकता है।
प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नाम
विपक्ष के लगातार हमलों और मोदी के बढ़ते दबदबे के बीच एक वक्त ऐसा भी आया जब भाजपा में नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर नितिन गडकरी के नाम की चर्चा होने लगी। बाजार में ये खबर तेजी से फैली कि पार्टी में कुछ नेता नितिन गडकरी को बतौर पीएम उम्मीदवार देखना चाहते हैं।
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डिप्टी पीएम बनाए जाने की चर्चा
चुनाव से पहले और बीच में कई बार नितिन गडकरी के नाम और काम को लेकर चर्चा हो चुकी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के दलित नेता संघप्रिय गौतम ने हाल में कहा था कि भाजपा दोबारा सत्ता में आए तो नेताओं के कामकाज में फेरबदल होना चाहिए। यही नहीं गौतम ने गडकरी को डिप्टी पीएम बनाए जाने की वकालत भी कर डाली।
इसलिए नितिन गडकरी पसंद
सपाट बयानबाजी
बात भाजपा की हो या फिर विरोधियों की नितिन गडकरी हमेशा से एक बड़े वर्ग की पसंद रहे। इसकी सबसे बड़ी वजह रही उनकी सपाट बयानबाजी। घुमा फिराकर बात न करते हुए सीधे मुद्दे की बात करना नितिन गडकरी को अपनों के करीब ले आया।
नेताओं की पसंद
भाजपा में नितिन गडकरी एक ऐसा चेहरा हैं जो मोदी और शाह के दबदबे के बावजूद निडर होकर अपना काम करते हैं। उनकी बेबाकी का आलम यह है कि वो बिना किसी डर के केंद्रीय नेतृत्व पर भी अंगुली उठा देते हैं। इसकी बड़ी वजह जमीन से जुड़े कार्यकर्ता की छवि भी रही।
आरएसएस के चहेते
मोदी मंत्रिमंडल में गडकरी एकमात्र ऐसे नेता हैं जो न सिर्फ मंत्रिमंडल की बैठक में सवाल पूछ सकते हैं बल्कि प्रधानमंत्री के फैसलों पर सवाल भी उठा सकते हैं। गडकरी की इस ताकत के पीछे भाजपा के पैतृक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उनके ऊपर वरदहस्त बताया जाता है। दरअसल संघ की विचारधार पर कर्मठता के साथ चलने की आदत ने उन्हें आरएसएस में शीर्ष पदाधिकारियों का चहेता बनया।
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इन बयानों से कतरे जा सकते हैं पर
– एग्जिट पोल अंतिम नतीजे नहीं होते
– भाजपा मोदी-शाह या अटल-अडवाणी की पार्टी नहीं, विचारधार की पार्टी
– सपने दिखाने वाले यदि सपने पूरे नहीं करते हैं तो जनता उन्हें पीटती भी है
– यदि जीत का सेहरा नेतृत्व के सिर बंधता है तो हार की जिम्मेदारी भी नेतृत्व की ही होती है, (भाजपा की पांच राज्यों में हार के बाद)
– जब नौकरियां हैं ही नहीं, तो मिलेंगी कहां से
एक नजर गडकरी के काम पर
– RBI ने माना नए हाईवे प्रोजेक्ट को मंजूरी देने में गडकरी अव्वल
– 3 साल के कार्यकाल में दिए 16,800 किमी तक के हाईवे निर्माण के दिए कॉन्ट्रैक्ट
– 2 किमी प्रतिदिन सड़क निर्माण को 23 किमी प्रतिदिन की नई रफ्तार दी
– 40 फीसदी कम हुई लंबित पड़े प्रोजेक्टों की संख्या
– 12 अहम पोर्ट पर कार्गो ट्रैफिक में तेज वृद्धि दर्ज कराने में सफल
ये उपलब्धियां भी शामिल
इतना ही नहीं नितिन गडकरी के कार्यकाल में नैशनल रोड सेफ्टी पॉलिसी, मोटर वेहिकल अमेंडमेंट बिल- 2016, नैशनल हाईवे के सेफ्टी ऑडिट में भी अहम योगदान रहा। वहीं गडकरी के भारतमाला, सेतु भारतम प्रोजेक्ट, नैशनल हाईवे इंटरकनेक्टिविटी प्रोजेक्ट और देशभर में नैशनल हाईवे पर माल ढुलाई को सहज और सुरक्षित बनाने में अहम कीर्तिमान बनाया है।
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