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तीन दशक में पहली बार सबसे अधिक जीती महिलाएं, चिकोड़ी से प्रियंका, बैंगलोर उत्तर से शोभा एवं दावणगेरे से प्रभा जीतीं, कर्नाटक से 42 उम्मीदवार थीं मैदान में, पिछले चुनाव में दो महिलाओं को मिली थीं जीत

इस बार लोकसभा चुनाव में कर्नाटक से 42 महिला उम्मीदवार थी इनमें से तीन को जीत मिली। 1996 के बाद से यह पहला मौका है जब एक साथ तीन महिलाएं जीतीं हैं। अब महिला आरक्षण को लेकर भी संसद में आवाज उठने लगी हैं। इस बार के चुनाव में कर्नाटक से चिकोड़ी से कांग्रेस की प्रियंका जारकीहोली, बैंगलोर उत्तर से भाजपा की शोभा करंदलाजे एवं दावणगेरे से कांग्रेस की प्रभा मल्लिाकर्जुन को जीत मिली है। 1996 से 2024 के बीच तीन दशकों में महिलाओं को मिली जीत सबसे अधिक है। पिछले चुनाव यानी 2019 में दो महिलाएं जीतीं थी। एक उडुपी-चिकमगलूर से भाजपा की शोभा करंदलाजे तथा दूसरी मंडया से स्वतंत्र उम्मीदवार सुमलता अंबरीश जीती थीं। करंदलाजे इस बार बैंगलोर उत्तर से भाजपा उम्मीदवार थीं।

हुबलीJun 05, 2024 / 04:44 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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जीतने वाली दो महिलाएं मंत्रियों की बेटी-पत्नी
कांग्रेस द्वारा मैदान में उतारी गई छह उम्मीदवारों में से डॉ प्रभा मल्लिकार्जुन और प्रियंका जारकीहोली ने क्रमश: दावणगेरे और चिक्कोडी निर्वाचन क्षेत्रों से जीत हासिल की है। दोनों ही राजनीति में नई हैं और राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखती हैं। प्रियंका लोक निर्माण विभाग के मंत्री सतीश जारकीहोली की बेटी हैं और डॉ प्रभा खान और भूविज्ञान मंत्री एस एस मल्लिकार्जुन की पत्नी हैं। भाजपा की शोभा करंदलाजे बैंगलोर उत्तर से विजयी हुई हैं। वे बेंगलूरु शहरी क्षेत्र की तीन सीटों से निर्वाचित होने वाली पहली महिला लोकसभा सांसद बन गई हैं। वे उन कुछ महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने लगातार तीन बार संसद में कर्नाटक का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने पिछले दो कार्यकालों में उडुपी-चिकमगलूर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
सरोजिनी महिषी चार बार जीत चुकी
कर्नाटक की पहली महिला लोकसभा सांसद सरोजिनी महिषी ने धारवाड़ से चार कार्यकाल पूरे करके यह रिकॉर्ड बनाया है। गायत्री सिद्धेश्वर दावणगेरे निर्वाचन क्षेत्र से हार गईं, जहां दो प्रमुख राजनीतिक दलों से दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। कांग्रेस की सौम्या रेड्डी, गीता शिवराजकुमार, अंजलि निंबालकर और संयुक्ता पाटिल क्रमश: बैंगलोर दक्षिण, शिमोगा, उत्तर कन्नड़ और बागलकोट निर्वाचन क्षेत्रों से हार गईं। इस बार कुल 42 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
राजनीतिक दलों से समर्थन की कमी
महिला राजनीतिज्ञों का कहना है कि इस खराब प्रदर्शन के लिए राजनीतिक दलों से समर्थन की कमी और नेतृत्व के लिए महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह होना है। संसद में कर्नाटक की महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम रहा है। यह ऐतिहासिक रूप से ऐसा ही रहा है। हमारे पास इससे बेहतर कोई सबूत नहीं हो सकता कि महिला आरक्षण को अनिवार्य बनाने वाले कानून के बिना, यह स्पष्ट है कि आजादी के 75 साल बाद भी, 18 लोकसभा चुनावों के बाद भी, हम महिलाओं के लिए राजनीतिक समानता हासिल नहीं कर पाए हैं। राजनीतिक दल वास्तविक प्रतिनिधित्व के लिए खुद को अनुशासित करने में विफल रहे हैं।
कर्नाटक से कैसे रहा अब तक का महिलाओं का प्रदर्शन
साल- कितनी महिला उम्मीदवार- कितनी जीतीं
1996- 71-1
1998- 10-0
1999- 11-2
2004-10-2
2009-19-1
2014-20-1
2019-27-2
2024-42-3

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