राजनीति

समलैंगिक शादी को मिल सकती है इजाजत: कानून मंत्री गौड़ा

उन्होंने बताया कि, समलैंगिकों के आपस में विवाह करने को कानूनी मान्यता देने पर भी विचार किया जा सकता है

Jun 30, 2015 / 10:24 am

शक्ति सिंह

gay marriage

बेंगलूरू। भारत में भी जल्द ही समलैंगिक शादी को मंजूरी मिल सकती है। केन्द्र सरकार “अप्राकृतिक सेक्स” को अपराध की श्रेणी में डालने वाली धारा 377 को खत्म कर सकती है। केन्द्रीय कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने ऎसे संकेत दिए हैं। गौड़ा कर्नाटक के परंपरावादी दक्षिण कन्नड़ जिले से ताल्लुक रखते हैं और यह इलाका संघ के प्रभाव वाला है। इस लिहाज से उनका बयान काफी अहम हो जाता है।

एक बिजनेस अखबार को उन्होंने बताया कि, समलैंगिकों के आपस में विवाह करने को कानूनी मान्यता देने पर भी विचार किया जा सकता है। मूड इसके फेवर में लग रहा है। हालांकि इस पर फैसला सभी पक्षों पर चर्चा करने के बाद ही किया जा सकता है। गौरतलब है कि हाल ही में अमरीका के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादियों को कानूनी रूप से वैध करार दिया था। इसके बाद अन्य देशों में इस विषय पर बहस एक बार फिर तेज हो गई।

उन्होंने हाल ही में ट्रांसजेंडर्स अधिकारों को लेकर संसद में पेश किए गए प्राइवेट बिल का हवाला देते हुए कहाकि, इस बिल को इंडियन गे कम्युनिटी के लिए एक मॉडल बनाया जा सकता है। वह बिल राज्यसभा ने अप्रैल में पास किया था। अगर वह लोकसभा में पास हो जाए जो कानून बन जाएगा और धारा 377 बेकार हो जाएगी। डीएमके सांसद तिरूचि शिवा ने इस बिल को पेश किया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए धारा 377 को बरकरार रखा था।

वहीं ट्रांसजेंडर्स पर प्राइवेट बिल पर कानून मंत्री की राय एमपी शिवा से अलग है। शिवा का कहना है कि, उनके बिल का दायरा केवल ट्रांसजेंडर्स के आर्थिक, रोजगार और स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारों तक सीमित था। वह बिल धारा 377 के बारे में नहीं है। शिवा के इस बिल को लोकसभा में तीन सांसद- भाजपा की शोभा करंदलाजे, बीजेडी के बैजयंत पांडा और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन आगे बढ़ा रहे हैं। करंदलाजे और प्रेमचंद्रन का कहना है कि धारा 377 उनके निशाने पर नहीं है। समलैंगिकता पर उनके अलग विचार है। वहीं पांडा का कहना है कि धारा 377 पर बहस करने का समय आ गया है।

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