गत लोकसभा चुनाव में जनता के अपार समर्थन से दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा को महज पौने तीन साल बाद विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस से पीछे धकेल दिया, लेकिन पूरा बहुमत उसे भी नहीं दिया। भाजपा ने जोड़-तोड़ से सरकार तो बना ली लेकिन गठबंधन की सरकार का जहाज अब तक हिचकोले खा रहा है। मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम देखें तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा तो कांग्रेस को भी बिखरी हुई पार्टी को एक मंच पर लाने के लिए जमकर पसीना बहाना पड़ेगा।
राज्य में अभी तक क्षेत्रीय दल मौकापरस्त ही रहे हैं। वे सत्तारूढ़ दल से जुड़कर सत्ता का सुख भोगते रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिव सेना, लेफ्ट दलों के अलावा अन्य क्षेत्रीय दलों ने अपनी जड़ों को सींचने का काम तो किया, पर जनता का साथ नहीं पा सके। गोवा के राजनीतिक हलकों में यह बात खुलकर कही जाती है कि समस्याओं से घिरे प्रदेश में जनता के हित में आवाज उठाने के बजाय विपक्ष की चुप्पी के पीछे बड़ी वजह मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के पास सबकी कमजोरियों की फाइलों का होना है। गत लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते उत्तर गोवा से श्रीपद नाइक तो दक्षिण गोवा से नरेन्द्र सवाईकर को जनता का आशीर्वाद मिला। इसके बाद 2017 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन तो मिला लेकिन वह सरकार बनाने में विफल रही। कांग्रेस के आधे दर्जन नेता भाजपा में शामिल हो गए और जनादेश को धक्का पहुंचा।
भाजपा
——– ताकत
केन्द्रीय योजनाओं का प्रचार और राज्य के विकास कार्य
पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर भरोसा
सीएम मनोहर पर्रिकर की बीमारी का भावनात्मक,संवदेनशील पहलू
क्षेत्रीय दलों का सहयोग मिलना कमजोरी
राज्य में मनोहर पर्रिकर जैसी दमदार छवि के नेता का अभाव
बहुजन समाज की अंदरखाने तक फैली नाराजगी
सरकार में शामिल नेताओं के दल बदलने की प्रवृत्ति
सहयोगियों का भरोसेमंद न होना
कांग्रेस
——- ताकत
भाजपा का लगातार कमजोर प्रदर्शन सामने आना
युवा टीम के हाथों में पार्टी की कमान सौंपना
लोकसभा चुनाव से पहले आक्रामक तेवर अपनाना
भाजपा के वोटर की नाराजगी कमजोरी
युवा टीम का वरिष्ठों के साथ तालमेल का अभाव
भाजपा की कमजोरियों को समय पर उजागर नहीं करना
नेताओं को भाजपा या अन्य दलों में जाने से नहीं रोक पाना
भ्रष्टाचार पर विरोध नहीं करना