उन्होंने कहा कि हरित क्रांति को लेकर सक्रिय युवाओं की चिंता जायज है लेकिन विकास कार्यों की स्वरूप के समझे बगैर तेजी से और आक्रामक तरीके से प्रतिक्रिया देना भी वाजिब नहीं है। युवाओं को इस बात से बचने की जरूरत है। पहले इस बात की जानकारी हासिल करने चाहिए कि जो काम हो रहा है और पेट काटे जा रहे हैं उसकी क्षतिपूर्ति को लेकर शहरी विकास एजेंट का प्लान क्या है। इस बात को जाने बगैर अगर उग्र प्रदर्शन होता है कि इससे अजीब से स्थिति उत्पन्न हो जाती है और लोगों के बीच भ्रम का वातावरणा बनता है। उन्होंने कहा कि सात कॉलोनियों के पुनर्विकास के क्रम में हरित क्षेत्र को पहले से ज्यादा विकसित करने की भी योजना है।
आपको बता दें कि दिल्ली सहित पूरी दुनिया के लोग पर्यावरण के असंतुलन से परेशान हैं। पर्यावरण के बिगड़ते असंतुलन के कारण दुनिया भर में लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। वहीं दिल्ली में पर्यावरण की परवाह किए बिना दक्षिण दिल्ली में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास बनाने की तैयारी है। सरकारी कर्मचारियों को आवास मुहैया कराने के लिए यहां की कुछ कॉलोनियों से करीब 17,000 पेड़ काटे जाने हैं। इनमें से करीब 3,000 पेड़ काटे जा चुके हैं। अब इस मुहिम के खिलाफ दिल्ली के लोग सड़क पर उतर आए हैं।