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Gujarat New Cabinet: नए कैबिनेट में 24 मंत्रियों ने ली शपथ, निमा आचार्य बनाई गईं विधानसभा स्पीकर

locationनई दिल्लीPublished: Sep 16, 2021 02:26:19 pm

Gujarat New Cabinet भूपेंद्र पटेल के नए कैबिनेट में 24 मंत्रियों ने ली शपथ, पूर्व सीएम विजय रूपाणी के सभी 22 मंत्रियों की छुट्टी, 7 मंत्री ऐसे जो पहली बार बने विधायक

Gujarat New Cabinet
नई दिल्ली। गुजरात में भूपेंद्र पटेल ( Bhupendra Patel ) के नेतृत्व वाली सरकार के नए मंत्रीमंडल ( Gujarat New Cabinet ) का विस्तार हो गया है। गांधीनगर स्थित राजभवन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। भूपेंद्र पटेल की कैबिनेट में कुल 24 मंत्रियों ने शपथ ली।
शपथग्रहण समारोह ऐसे वक्त में हुआ जब राज्य में विधानसभा चुनावों के लिए करीब एक साल ही रह गया है। शपथग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह पटेल, नितिन पटेल समेत तमाम बीजेपी नेता मौजूद रहे।गुरुवार शाम 4.30 बजे भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में नई कैबिनेट की पहली बैठक होगी। निमा आचार्य को विधानसभा स्पीकर बनाया गया है। दरअसल शपथ ग्रहण समारोह कुछ देर पहले ही राजेंद्र त्रिवेदी ने पद से इस्तीफा दिया था।
इन मंत्रियों ने ली शपथ

सबसे पहले जिन पांच मंत्रियों ने शपथ ली उनमें विधासभा स्पीकर पद से इस्तीफा देने वाले राजेंद्र त्रिवेदी, जीतू वाघाणी, पूर्व पार्टी अध्यक्ष रहे। सूरत से पूर्णेश मोदी, ऋषिकेश पटेल, कांग्रेस से बीजेपी में आए राघव जी पटेल ने शपथ ली।
इसके बाद उदय सिंह चव्हाण, मोहनलाल देसाई, किरीट राणा, गणेश पटेल और प्रदीप परमार ने शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 11 मंत्री के तौर पर हर्ष सांघवी ने शपथ ली। ये पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं। ये डायनामिक परफॉर्मिंग नेता के तौर पर पहचान बनाई। इनके साथ ही जगदीश ईश्वर, बृजेश मेरजा, जीतू चौधरी, मनीषा वकील ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। मनीषा वकील पहली महिला रहीं जिन्होंने मंत्रिमंडल में जगह बनाई।
मुकेश पटेल, निमिषा बेन, अरविंद रैयाणी, कुबेर ढिंडोढ और कीर्ति वाघेला ने भी शपथ ली। खास बात यह है कि पहली बार विधायक बने इन पांच चेहरों को कैबिनेट में जगह दी गई है। इन चेहरों के साथ साउथ गुजरात को कवर करने की कोशिश की गई है। इसके अलावा गजेंद्र सिंह परमार, राघव मकवाणा, विनोद मरोडिया और देवा भाई मालव भी कैबिनेट में शामिल हैं। कैबिनेट में 3 महिलाओं को जगह दी गई है।
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ये हैं 10 कैबिनेट मिनिस्टर

1. राजेंद्र त्रिवेदी
2. जितेंद्र वघानी
3. ऋषिकेश पटेल
4. पूर्णश कुमार मोदी
5. राघव पटेल

6. उदय सिंह चव्हाण
7. मोहनलाल देसाई
8. किरीट राणा
9. गणेश पटेल
10. प्रदीप परमार
ये 14 मिनिस्टर ऑफ स्टेट

11. हर्ष सांघवी
12. जगदीश ईश्वर
13. बृजेश मेरजा
14. जीतू चौधरी
15. मनीषा वकील

16. मुकेश पटेल
17. निमिषा बेन
18. अरविंद रैयाणी
19. कुबेर ढिंडोर
20. कीर्ति वाघेला

21. गजेंद्र सिंह परमार
22. राघव मकवाणा
23. विनोद मरोडिया
24. देवा भाई मालव
बता दें कि इससे पहले विजय रूपाणी के मंत्रिमंडल के सभी नेता भूपेंद्र पटेल की टीम से बाहर होने की खबरें सामने आ रही थीं। इसी के चलते कई नेता नाराज थे, जिससे शपथ ग्रहण समारोह भी टल गया था। वहीं भाजपा ने पहले ही इशारा कर दिया था कि वह नो रिपीट फॉर्मूले पर काम करेगी और नए चेहरों को ही जगह देने वाली है।
इसलिए पड़ी बदलाव की जरूरत
गुजरात में बड़े फेरबदल के पीछे सबसे बड़ी वजह जिस बात को माना जा रहा है वो है आगामी विधानसभा चुनाव। दरअसल आरएसएस के एक सर्वे में बीजेपी को एंटी इनकंबेंसी का डर सता रहा है। यही वजह रही कि पहले सीएम विजय रुपाणी को हटाया गया और अब उनके मंत्रिमंडल के ज्यादातर चेहरों को हटाने की तैयारी है।
बीजेपी शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता है कि भूपेंद्र पटेल को कमान सौंपने के बाद उन्हें पुरानी टीम के साथ किसी भी तरह की तालमेल की दिक्कत हो। नए चेहरों या यूं कहें अपनी टीम के साथ भूपेंद्र पटेल की जिम्मेदारी आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करना है।
इस बदलाव के पीछे जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधाना भी मकसद है, ताकि चुनाव में किसी भी तरह की कोई गुंजाइश ना रहे।

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आगे क्या हो सकता है असर?
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के बड़े बदलावों के दो असर हो सकते हैं। एक बीजेपी के पक्ष में और दूसरा उन्हें सत्ता से दूर कर सकता है। दरअसल इस तरह पुराने दिग्गजों को हटाना अंदरुनी कलह को गहरा कर सकता है। इसका असर ये होगा कि चुनाव से पहले पार्टी में गुटबाजी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है नतीजा चुनाव में हार के तौर पर भी देखने को मिल सकता है।
यही नहीं नाराज चेहरे आने वाले समय में पार्टी का दामन छोड़कर विरोधी दलों में शामिल हो सकते हैं। ये पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे।

फायदाः इस बदलाव से फायदा ये होगा कि बीजेपी एंटीइंकबेंसी फेक्टर से उबर सकती है। पुराने नेताओं की छवि से जो नुकसान हो रहा है या जो माहौल बन रहा है वो पॉजिटिव रिस्पॉन्च में तब्दील हो सकता है। नतीजा विधानसभा चुनाव में पार्टी को एक बार फिर अच्छी जीत मिल सकती है।
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