scriptगुजरात के अनोखे उम्मीदवार: न प्रचार, न खर्च, फिर भी 6 बार जीत चुके हैं चुनाव | gujrat: candidate won the elections 6 times without spending money | Patrika News

गुजरात के अनोखे उम्मीदवार: न प्रचार, न खर्च, फिर भी 6 बार जीत चुके हैं चुनाव

locationनई दिल्लीPublished: Dec 05, 2017 02:41:43 pm

Submitted by:

ashutosh tiwari

महेंद्र लाल मशरू ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्हें प्रचार के लिए किसी खास खर्च की जरूरत नहीं पड़ती है।

gUJARAT
पुष्पेंद्र सिंह/जूनागढ़ . जहां चुनाव प्रचार में जीत के लिए प्रत्याशी हर तरीके के हथकंडे अपनाते हैं। वहीं जूनागढ़ से छह बार विधायक रह चुके और सातवीं बार फिर से चुनाव मैदान में उतरे महेंद्र लाल मशरू ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्हें प्रचार के लिए किसी खास खर्च की जरूरत नहीं पड़ती है, न ही किसी हथकंडे की। वे अधिकांश अकेले ही पैदल घूमकर लोगों से मिलते हैं। उनकी सादगी को देख हर कोई दंग रह जाता है। वे सैलरी तो नहीं ही लेते हैं और यह भी घोषणा कर रखी है कि पेंशन भी नहीं लेंगे। उनके पास खुद का वाहन भी नहीं है। विधायक निवास से विधानसभा तक विधायकों को लाने-ले जाने के लिए राज्य सरकार जो बस चलाती है, वह उसी से सदन जाते हैं। मशरू ने ३ दशक बैंक में नौकरी की है। इससे उन्हें जो भी फंड व ग्रेच्युटी मिली, वही उनके लिए पर्याप्त है। सादगी पसंद मशरू ने शादी भी नहीं की है। वे एक कमरे में ही रहते हैं।
मोदी को घेरने के चक्कर में गणित भूले राहुल गांधी , जमकर उड़ा मजाक

मां के कहने से नहीं ली सुविधा
मशरू कहते हैं- जब पहली बार चुनाव जीतकर आया, तब मां ने कहा कि यदि जनता की सेवा करना है तो कोई सरकारी सुविधा न लेना। मां के कहे शब्द आज भी मुझे याद हैं।
थैला उठाकर जुट जाते हैं सफाई में
हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तक जूनागढ़ में गिरनार पहाड़ी की परिक्रमा होती है। उस वक्त लोग रास्ते में पानी की बोतल, प्लास्टिक और कूड़ा-कचरा फेंक देते हैं। हर साल मशरू हाथों में थैला लेकर परिक्रमा मार्ग से कचरा बीनते हैं। यह काम करते हुए उनके चेहरे पर तनिक भी झिझक नहीं दिखाई देती कि वे एक विधायक हैं।
जब नौकरी के लिए राहुल गांधी ने बदल लिया था अपना नाम

निर्दलीय ही कराई जमानत जब्त
मशरू 1990 से चुनाव लड़ रहे। 1995 में वे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़े। इस चुनाव में एतिहासिक जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य सभी प्रत्याशियों को इतने भारी अंतर से हराया कि सबकी जमानत जब्त हो गई थी। गुजरात के इतिहास में एक निर्दलीय ने ऐसा शायद पहली बार किया था। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 1998 से लेकर 2012 तक सभी चुनाव भाजपा के बैनर तले ही चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो