मोदी को घेरने के चक्कर में गणित भूले राहुल गांधी , जमकर उड़ा मजाक मां के कहने से नहीं ली सुविधा
मशरू कहते हैं- जब पहली बार चुनाव जीतकर आया, तब मां ने कहा कि यदि जनता की सेवा करना है तो कोई सरकारी सुविधा न लेना। मां के कहे शब्द आज भी मुझे याद हैं।
मशरू कहते हैं- जब पहली बार चुनाव जीतकर आया, तब मां ने कहा कि यदि जनता की सेवा करना है तो कोई सरकारी सुविधा न लेना। मां के कहे शब्द आज भी मुझे याद हैं।
थैला उठाकर जुट जाते हैं सफाई में
हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तक जूनागढ़ में गिरनार पहाड़ी की परिक्रमा होती है। उस वक्त लोग रास्ते में पानी की बोतल, प्लास्टिक और कूड़ा-कचरा फेंक देते हैं। हर साल मशरू हाथों में थैला लेकर परिक्रमा मार्ग से कचरा बीनते हैं। यह काम करते हुए उनके चेहरे पर तनिक भी झिझक नहीं दिखाई देती कि वे एक विधायक हैं।
हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तक जूनागढ़ में गिरनार पहाड़ी की परिक्रमा होती है। उस वक्त लोग रास्ते में पानी की बोतल, प्लास्टिक और कूड़ा-कचरा फेंक देते हैं। हर साल मशरू हाथों में थैला लेकर परिक्रमा मार्ग से कचरा बीनते हैं। यह काम करते हुए उनके चेहरे पर तनिक भी झिझक नहीं दिखाई देती कि वे एक विधायक हैं।
जब नौकरी के लिए राहुल गांधी ने बदल लिया था अपना नाम निर्दलीय ही कराई जमानत जब्त
मशरू 1990 से चुनाव लड़ रहे। 1995 में वे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़े। इस चुनाव में एतिहासिक जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य सभी प्रत्याशियों को इतने भारी अंतर से हराया कि सबकी जमानत जब्त हो गई थी। गुजरात के इतिहास में एक निर्दलीय ने ऐसा शायद पहली बार किया था। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 1998 से लेकर 2012 तक सभी चुनाव भाजपा के बैनर तले ही चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं।
मशरू 1990 से चुनाव लड़ रहे। 1995 में वे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़े। इस चुनाव में एतिहासिक जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य सभी प्रत्याशियों को इतने भारी अंतर से हराया कि सबकी जमानत जब्त हो गई थी। गुजरात के इतिहास में एक निर्दलीय ने ऐसा शायद पहली बार किया था। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 1998 से लेकर 2012 तक सभी चुनाव भाजपा के बैनर तले ही चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं।