मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के पहले गैर जाट मुख्यमंत्री है. उनका परिवार 1947 में भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर निंदाना गांव में बसा। शुरुआती दिनों में मनोहर लाल खट्टर के पिता और दादा को दूसरों के खेतों में मजदूरी भी करनी पड़ी थी. बाद में उनके परिवार ने खुद की जमीन खरीद कर खेती शुरू की. पांच भाइयों में मनोहर सबसे बड़े थे. लिहाजा छोटी उम्र से ही उनपर बड़ी जिम्मेवारी थी.
साथ पढ़ने वाले दोस्त ने कहा- पढ़ाई में बेहद संजीदा थे मनोहर
मनोहर लाल खट्टर की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के आनंदपुर हाईस्कूल से हुई. उनके दोस्त बताते हैं कि मनोहर गणित में बेस्ट थे. खट्टर के साथ पढ़ने वाले रिटायर्ड हेड कांस्टेबल ओमप्रकाश कलसन ने बताया था कि खट्टर पढ़ाई को लेकर बेहद संजीदा थे. दसवीं में वह साइंस के छात्र थे और उनकी गणित बहुत अच्छी थी. वो क्लास के मॉनिटर भी बनते थे.
साइकिल से मंडी तक सब्जी पहुंचाकर आते थे स्कूल
पढ़ाई के दौरान खट्टर के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. उनके पिता हरवंश लाल सब्जी उगाते थे. जब मनोहर लाल दसवीं में आए तो सुबह उठकर खेत से सब्जी तोड़ने जाते थे. फिर सुबह सवेरे साइकिल पर सब्जी लादकर रोहतक मंडी पहुंचाते थे, फिर वहां से स्कूल जाते थे. 10वीं पास करने के बाद घर के हालात को देखकर खट्टर ने दुकान चलाना शुरू किया.
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संघ से जुड़े होने के कारण शादी नहीं करने की ली शपथ
मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली विवि से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इसी दौरान वो संघ से जुड़े. 1977 में 24 वर्ष की उम्र में वह आरएसएस से जुड़े. 27 साल की उम्र में वे संघ के बड़े प्रचारक बन गए. इस बीच उनके परिजन उनपर शादी करने का दवाब बना रहे थे, लेकिन उन्होंने संघ को प्रमुखता दी और शादी नहीं करने की शपथ ली. 14 साल तक वो लगातार संघ के लिए काम करते रहे. जिसका फायदा उन्हें 1994 में बीजेपी में शामिल कर मिला. बीजेपी ने खट्टर को हरियाणा का महासचिव बनाया.
पहली बार चुनाव लड़े, जीते और मुख्यमंत्री बने
2014 के विधानसभा चुनाव तक लोग हरियाणा में सीएम पद के लिए खट्टर के चेहरे से अनजान थे. क्योंकि खट्टर ने पहली बार ही विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस समय हरियाणा में जाटों के दिग्गज नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा की सरकार थी. हुड्डा को हराकर खट्टर ने राज्य में अपनी सरकार बनाई. मनोहर लाल खट्टर को संघ की सेवा और प्रचारक होने का फायदा मिला और वह राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए। फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर वो राज्य के मुख्यमंत्री बने.