कुमारस्वामी ने कहा है कि इन बातों ने कई दक्षिण भारतीयों को प्रधानमंत्री बनसे रोका है। दरअसल ये सारा मामला कनिमोझी के ट्वीट के बाद बढ़ा। कनिमोझी के ट्वीट के बाद राज्य में एक बार फिर हिंदी विरोध के सुर तेज हो गए, इसको लेकर कुमारस्वामी ने भी ट्वीट की झड़ी लगा दी।
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर बड़ा कदम उठाने जा रही है केंद्र सरकार, जानें सुप्रीम कोर्ट में क्या दी जानकारी कुमारस्वामी ने बताया इन नेताओं को नहीं मिला मौकपूर्व सीएम कुमारस्वामी ने कहा हिंदी विरोध के चलते दक्षिण भारत के कई बड़े नेताओं पीएम के तौर पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इकामराज और करुणानिधि इनमें बड़े नाम हैं। हालांकि एचडी देवगौड़ी ने इस अवरोध को तोड़ा और कुछ समय के लिए ही सही प्रधानमंत्री बने।
ऐसे कई मौके आए जब देवेगौड़ा को भी भाषा को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा। कुमारस्वामी ने कहा- मेरे साथ भी यही अनुभव रहा, मैं दो बार लोकसभा का सदस्य रहा हूं। सत्ताधारी दल दक्षिण भारत के लोगों को अनदेखा करते हैं। उन्होंने कहा कि नॉन हिन्दी राजनेताओं का सम्मान नहीं किया जाता है।
इन क्षेत्रों में कन्नड़ की कोई जगह नहीं
दरअसल नई शिक्षा नीति में हिंदी को बढ़ावा देने के बाद से ही कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। कुमारस्वामी ने कहा है कि सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि सरकारी, प्राइवेट जॉब के लिए भी लोगों को अंग्रेजी या हिन्दी लिखनी पड़ती है। इस साल भी IBPSmosa में कन्नड़ को कोई जगह नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि देश में कन्नड़ लोगों को मौका नहीं दिया जा रहा है। ये अब रुकना चाहिए।
भूकंप पीड़ितों का हाल जानने से अस्पताल पहुंचे थे विधायक, ड्यूटी पर डॉक्टर ना होने के कारण तकलीफ में थी गर्भवती महिला, विधायक ने खुद की सफल डिलीवरी, जानें फिर क्या हुआ आपको बता दें कि डीएमके नेता कनिमोझी ने भी अपना अनुभव साझा करते हुए ट्वीट किया था कि जब वे एयरपोर्ट पर थीं तो सीआईएसएफ के अधिकारी ने उनसे हिंदी में सवाल करने को कहा था।