प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार में अनिल शर्मा ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं पशुपालन मंत्री थे। कांग्रेस के पुराने दिग्गज सुखराम के बेटे अनिल शर्मा वीरभद्र सिंह सरकार में खासा दबदबा रखते थे और उन्हें हिमाचल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में शुमार बताया जाता था।
मोदी के मुरीद हुए अनिल शर्मा शनिवार को भाजपा में शामिल होने के बाद अनिल शर्मा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि वे वीरभद्र सिंह की अगुवाई में खुद को असहज महसूस कर रहे थे। राज्य की भलाई के लिए उन्होंने भाजपा से जुड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने लिखा है कि अब वे मोदी के सपनों का भारत बनाने के लिए उनका सहयोग करेंगे। उन्होंने भाजपा को भी धन्यवाद दिया है।
वहीं भाजपा के पुराने शीर्ष नेता और हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर ने अनिल शर्मा का भाजपा में स्वागत किया है, और कहा है कि अनिल शर्मा के जैसे दिग्गज नेता के पार्टी से जुड़ने पर उसे मजबूती मिलेगी।
वहीं भाजपा के पुराने शीर्ष नेता और हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर ने अनिल शर्मा का भाजपा में स्वागत किया है, और कहा है कि अनिल शर्मा के जैसे दिग्गज नेता के पार्टी से जुड़ने पर उसे मजबूती मिलेगी।
अमित शाह की पुरानी रणनीति दरअसल, चुनाव के पूर्व प्रतिद्वंदी पार्टियों के मजबूत नेताओं को अपने खेमे में शामिल करना भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की पुरानी और कारगर रणनीति रही है। इससे एक तरह पार्टी को मजबूती मिलती है तो वहीं विपक्ष में ‘भगदड़’ जैसा माहौल बनता है। इसका मनोवैज्ञानिक लाभ भाजपा को मिलता है। अनिल शर्मा की भाजपा खेमे में जाने की घटना को इसी नजरिये से देखा जा सकता है। दूसरे चुनावी राज्य गुजरात के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शंकर सिंह बाघेला को भी कांग्रेसी खेमे से अलग करने के पीछे भी भाजपा की ही चाल मानी जा रही है।