दरअसल, गृह मंत्रालय ने बुधवार को संसद में देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए मॉब लिंचिंग की घटनाओं और उसपर की गई कार्रवाई को लेकर बयान दिया। मंत्रालय ने कहा कि सरकार मॉब लिंचिंग को लेकर मौजूदा क्रिमिनिल लॉ (आपराधिक कानूनों) का रिव्यू कर रही है।
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राज्यसभा में मंत्रालय ने बताया कि सरकार मौजूदा कानूनों का इस प्रकार से रिव्यू कर रही है ताकि इस तरह के लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े हालातों से तत्परता के साथ निपटा जा सके। मंत्रालय ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि समाज के हर हिस्से और हर व्यक्ति को तय समय में न्याय दिलाया जा सके। साथ ही समाज में एक ऐसा लीगल सेक्शन बनाया जाए, जो आम लोगों के लिए आसान हो।
इसके अलावा सरकार ने इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार फेक न्यूज और अफवाहों को रोकने के लिए सिस्टम को काफी मजबूत किया है। ऐसी फेक खबरें या अफवाह भीड़ को भड़काने, उकसाने और फिर लिचिंग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मनोज झा ने सरकार से पूछा था सवाल
आपको बता दें कि राज्यसभा में आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने सरकार से मॉब लिंचिंग पर सवाल पूछा था। मनोज झा ने पूछा था कि क्या केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत हेट क्राइम, मॉब लिंचिंग से जुड़े कानूनों में बदलाव किया है। साथ ही उन्होंने सरकार से इससे जुड़े आंकड़े भी मांगे।
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मालूम हो कि बीते कुछ सालों में मॉब लिंचिंग की कई ऐसी घटनाएं सामने आई, जिसकी चर्चा देश-विदेश में खूब हुई। मॉब लिंचिंग की घटना पर विपक्ष ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। वहीं, इससे दुखी होकर प्रधानमंत्री ने एक बार कहा था कि जो लोग मॉब लिंचिंग की घटना को कर रहे हैं वे समाज के लिए घातक हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इसकी निंदा करते हुए कहा था कि लिंचिंग करने वालाें का कोई धर्म नहीं होता है, यदि कोई हिन्दू ऐसा करता है तो वह सही मायने में हिन्दू है ही नहीं।