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नई शिक्षा नीति मसौदे पर रार, मानव संसाधन मंत्री बोले- किसी भी राज्य पर नहीं थोपी जाएगी भाषा

locationनई दिल्लीPublished: Jun 02, 2019 09:14:49 am

Submitted by:

Prashant Jha

नई शिक्षा नीति का दो सालों से इंतजार हो रहा है।
तमिलनाडु में हिन्दी भाषा थोपने को लेकर विवाद है।
इस मसले पर अब पूर्व और वर्तमान मंत्री ने सफाई दी है।

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नई दिल्ली। दक्षिण भारत के राज्यों में एक बार फिर से हिन्दी भाषा थोपने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। नई शिक्षा नीति के मसौदा में कथित तौर पर हिंदी भाषा थोपने वाली खबर को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ( HRD Minister ) रमेश पोखरियाल निशंक ने सिरे से खारिज कर दिया है। मानव संसाधन मंत्री निशंक ने कहा कि किसी भी भाषा के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा और ना ही किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी जाएगी। हम देश की सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और उसका विकास चाहते हैं।

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विवाद पर जावड़ेकर ने दी सफाई

वहीं पूर्व मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी इस विवाद पर सफाई दी है। जावड़ेकर ने कहा कि ऐसी कोई भी योजना सरकार ने नहीं बनाई है। हम देश की सभी भाषाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं। बता दें कि तीन साल पहले नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तात्कालीन मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के रहते तैयार किया गया। बाद में प्रकाश जावड़ेकर के पास यह मंत्रालय पहुंचा। जावड़ेकर के रहते हुए मसौदा फाइनल हुआ। अब नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया है।

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तमिलनाडु में हिन्दी का विरोध शुरू

दरअसल नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में नई शिक्षा नीति का मसौदा वेबसाइट पर लोड किया गया है। सरकार ने इसपर लोगों से फीडबैक मांगी है। इस नीति के तहत त्रिभाषाई फार्मूले की सिफारिश की गई है। जिसमें गैर हिन्दी भाषी क्षेत्र में मातृभाषा, संपर्क भाषा अंग्रेजी के अलावा तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी को अनिवार्य किए जाने की अनुशंसा है। इस मसौदे का तमिलनाडु में विरोध शुरू हो गया है। तमिलानाडु की जनता इसको लेकर आरपार के मूड में दिख रही है। लोगों ने केंद्र सरकार को खुली चुनौती दी है कि अगर सरकार हिन्दी लागू कर देगी तो इसका अंजाम गलत होगा।

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