scriptअगर एनडीए की सत्ता में वापसी हुई तो इसके लिए जिम्मेदार कौन? | If NDA returns to power, who is responsible for it? | Patrika News

अगर एनडीए की सत्ता में वापसी हुई तो इसके लिए जिम्मेदार कौन?

locationनई दिल्लीPublished: May 14, 2019 01:13:19 pm

Submitted by:

Dhirendra

विपक्ष की ओर से चुनाव पूर्व वैकल्पिक नेतृत्‍व पेश न करना बड़ी भूल
विपक्ष की इस कमजोरी की वजह से भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिला वाक ओवर
विपक्षी एकता के बगैर सत्‍ताधारी पार्टी को हराने का देश में नहीं है इतिहास

mahagathbandhan
नई दिल्ली। 17वें लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है, लेकिन अभी तक साफ नहीं हाे सका है कि अाखिर काैन सरकार बनाएगा? क्या बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए वापसी करेगी या फिर महागठबंधन के साथ कांग्रेस यूपीए के साथ आएगी? अभी कर्इ पेच फंसे हुए हैं। अगर इतिहास काे खंगालकर देखें ताे कमजाेर विपक्ष के सामने चुनावाें में सत्ताधारी पार्टी काे कभी काेर्इ मुश्किल नहीं हुर्इ है। बीते करीब 50 दशकाें का इतिहास कुछ एेसा ही बयां कर रहा है।
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विपक्षी एकता के बगैर सत्ताधारी सरकार को हटाने का नहीं है इतिहास

राजनीतिक नेतृत्व को लेकर सर्वमान्य धारणा यही है कि आम चुनाव में सत्‍ताधारी पार्टी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी पार्टियों का एक मंच पर आना जरूरी होता है। इसके बगैर सत्‍ताधारी पार्टी को दिल्‍ली की कुर्सी से बेदखल करना बहुत मुश्किल है। कम से कम विगत 16 लोकसभा चुनाव का इतिहास तो यही बताता है। विपक्षी एकता के बल पर ही वर्ष 1977, 1989 और 1996 में सत्‍ताधारी कांग्रेस को हराना संभव हो पाया था।
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वैकल्पिक नेतृत्‍व पेश न करना विपक्ष की बड़ी भूल

वैसे तो पीएम पद की रेस में विपक्षी पार्टियों की ओर से कई नेता है। इनमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, केसीआर, चंद्रबाबू नायडू, मायावती, अखिलेश, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, शरद पवार, के चंद्रशेखर राव आदि नाम शामिल हैं। लेकिन विपक्षी पार्टियों में चुनाव पूर्व मोदी के खिलाफ वैकल्पिक नेतृत्‍व पेश न कर, एनडीए गठबंधन को एक तरह से लोकसभा चुनाव में वाक ओवर दे दिया है। इसका लाभ चुनाव के दौरान एनडीए ने जमकर उठाया है और यह माना जा रहा है कि मोदी जैसा ताकतवर चेहरा विपक्ष के पास नहीं है।
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किसी के पास नहीं इसका जवाब

छह चरणों के मतदान के बाद भी इस बात के संकेत अभी तक नहीं मिले हैं कि इस बार सरकार कौन बनाएगा। सियासी विश्लेषक भी इस बार अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि मोदी सत्ता में वापसी करेंगे या फिर कांग्रेस महागठबंधन में शामिल दलों के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। जबकि सातवें चरण का मतदान होने में केवल पांच दिन शेष रह गए हैं। हालांकि अब तक का सियासी परिदृश्य यह ईशारा कर रहा है कि विपक्ष ने सत्ताधारी एनडीए को पहले ही वाक ओवर दे दिया है।
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