महाभियोग प्रस्ताव पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के हस्ताक्षर नहीं होने पर कयास लगाए जाने लगा कि डॉक्टर सिंह इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं, जिसकी वजह से उन्होंने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। लेकिन इस संदर्भ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। वो खबरें गलत हैं जिसमें इस तरह का दावा किया जा रहा है।
दूसरी ओर कांग्रेस के अंदर भी इस महाभियोग प्रस्ताव को लेकर कलह दिख रही है। पेशे से वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने खुलेआम इस महाभियोग प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि वकील का काला गाउन और सफेद बैंड पहनने वाले किसी भी आदमी या कोर्ट के फैसले पर सोच समझ कर सवाल उठाने चाहिए। यह संवेदनशील मामला है। वहीं, उन्होंने कहा कि शीर्ष कोर्ट के फैसले पर राजनीति करना सही नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमेशा अंतिम होता है, भले मामला जज लोया का हो या कोई अन्य। खुर्शीद ने कहा कि अगर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लेकर किसी को कोई भी आपत्ति है तो पुनर्विचार याचिका या उपचारात्मक याचिका दाखिल कर सकता है। इसके लिए सभी को छूट है। हां यह अलग बात है कि इनका दायरा बहुत सीमित होता है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने उपराष्ट्रपति से मुलाकात के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमने पांच सूचीबद्ध आधारों के तहत प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को हटाने के लिए एक महाभियोग प्रस्ताव सौंपा है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रस्ताव पेश करते हुए इसकी योग्यता पर चर्चा नहीं की, उन्होंने केवल आग्रह किया कि ‘यह हमारा प्रस्ताव है और इसके लिए संविधान के तहत जरूरी पर्याप्त संख्या है।’
कांग्रेस की अगुवाई में सात राजनीतिक दलों की तरफ से 71 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इनमें से सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं इसलिए यह संख्या अब 64 हो गई है।