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बाज नहीं आएंगे शशि थरूर: अपने विवादित लेख में बताया, देश में मुसलमानों से ज्यादा गाय सुरक्षित

मॉब लिंचिंग पर शशि थरूर ने लिखा है कि मोदी सरकार के शासन में चरमपंथी ताकतों की वजह से देश में हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं।

Jul 23, 2018 / 08:55 am

Dhirendra

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बाज नहीं आएंगे शशि थरूर: अपने विवादित लेख में बताया, देश में मुसलमानों से ज्यादा गाय सुरक्षित

नई दिल्ली। कैटल क्‍लास वाले बयानों से वर्षों पूर्व चर्चित हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर का विवादों में रहना उनकी फितरत में शुमार है। हाल ही में हिंदू पाकिस्‍तान और हिंदू तालिबान का मुद्दा उछालने के बाद एक बार फिर उन्‍होंने एक लेख लिखकर सनसनी फैला दी है। इस बार उन्‍होंने लिखा है कि हिंदुस्‍तान में इंसान से ज्‍यादा गाय सुरक्षित है। जबकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अध्‍यक्षता करते हुए रविवार को राहुल गांधी ने संकेत दिया था कि वो विवादित बयान देने वालों को और ज्‍यादा बर्दाश्‍त के मूड में नहीं है।
इस बार क्‍या कहा थरूर ने…
बेबाक टिप्पणियों के चर्चित थरूर ने इस बार मॉब लिंचिंग को लेकर बड़ी बात कही है। उन्‍होंने अपने एक लेख में लिखा है कि इस देश में कई जगहों पर तो मुसलमान होने से बेहतर गाय होना है। अंग्रेजी के एक अखबार में लिखे एक लेख में थरूर ने यह टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भाजपा शासन में मॉब लिंचिंग बढ़ने की घटनाओं से इनकार किया है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी कहते हैं कि देश में पिछले चार वर्षों में कोई बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है। दोनों ही नेता गलत हैं। अब उनकी इस टिप्पणी पर राजनीतिक गलियारों में विवाद खड़ा हो गया है। अभी कुछ दिन पहले उन्होंने भारत को हिंदू पाकिस्तान बनने की बात कही थी।
चरमपंथी ताकतें मजबूत हुईं
अपने लेख में उन्होंने लिखा है कि जब से भाजपा सत्ता में आई है हिंदुत्व का झंडा लेकर चलने वाली ताकतों की वजह से देश में कई जगह हिंसाएं हुई हैं। 2014 के बाद से अब तक अल्पसंख्यक विरोधी हिंसाओं में 389 लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं। शशि थरूर ने लिखा है कि पिछले आठ वर्षों में गोहत्या से संबंधित 70 हिंसक घटनाएं हुई हैं, जिनमें से 97 फीसदी यानी 70 में से 68 घटनाएं भाजपा के शासन में हुई हैं। इन घटनाओं में 28 लोग मारे जा चुके हैं और 136 लोग घायल हुए हैं। इन घटनाओं में 86 फीसदी शिकार लोग मुस्लिम हैं। थरूर ने लिखा है कि गोभक्तों के निशाने पर केवल मुस्लिम ही नहीं रहे हैं, दलित भी उनका शिकार बने हैं। उन्होंने लिखा है कि गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए उन्‍होंने बताया है कि 2014 से 2016 के बीच देशभर में 2,885 सांप्रदायिक दंगे हुए हैं।

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