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देश का संविधान जिसने सभी को दिया बराबरी का ‘हक’

locationजयपुरPublished: Jan 25, 2019 02:19:40 pm

Submitted by:

manish singh

आजादी के साथ जीने का अधिकार : देश का हर नागरिक खुशी और उल्लास के साथ 70वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।

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देश का संविधान जिसने सभी को दिया बराबरी का ‘हक’

भारत का आज हर नागरिक कानून व्यवस्था की छांव में खुशी और उल्लास के साथ 70वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। मनमर्जी से जीने का अधिकार हमें हमारे संविधान ने ही दिया। यही भारत की भव्यता, एकता और अखंडता का प्रतीक है जिसमें सभी को बराबरी का हक और सम्मान मिला है। गणतंत्र दिवस के खास मौके पर आज हम संविधान और उसको अंतिम रूप देने वालों के बारे में जानेंगे कि कैसे आमजन के लिए संवैधानिक आजादी की पटकथा लिखी गई…

समानता का अधिकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी व्यक्तियों के लिए एक समान कानून। अनुच्छेद 15 के तहत धर्म, जाति, नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं। अनुच्छेद 16 के तहत नियुक्ति और नियोजन में सभी नागरिकों को समान अवसर। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग को छोडकऱ।

स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद 19 के तहत नागरिकों को छह तरह की स्वतंत्रता है। बोलने की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने, सभा करने का अधिकार, संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता, देश के किसी क्षेत्र में आने-जाने की आजादी, जम्मू-कश्मीर को छोड़ किसी क्षेत्र में निवास करने या बसने, संपत्ति रखने की स्वतंत्रता।

शोषण के विरुद्ध अधिकार: अनुच्छेद 23 के तहत किसी व्यक्ति की खरीद या बिक्री कानून अपराध है। बेगारी या जबरदस्ती कराया जाने वाला काम आपराधिक श्रेणी में आता है। 14 साल से कम उम्र के बच्चों को कारखानों या अन्य किसी जोखिम भरे काम में नहीं लगा सकते। किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय सेवा के लिए बाध्य किया जा सकता है।

जीवन जीने का अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के हर नागरिक को जीने का अधिकार है। व्यक्तिगत आजादी के साथ विधि द्वारा प्रस्तावित प्रक्रिया के तहत उसकी स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं कर सकते हैं। हाल ही इसी के तहत सर्वोच्च न्यायलय ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताते हुए अपने फैसले में कहा कि किसी की व्यक्तिगत जानकारी के बिना उसकी रजामंदी के सरकार या कोई दूसरी संस्था किसी हाल में सार्वजनिक नहीं कर सकती है।

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद 25 के कोई भी व्यक्ति किसी धर्म को स्वीकार सकता है। अपनी इच्छानुसार धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकता है। अनुच्छेद 28 के तहत किसी भी शिक्षण संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। छात्रों को धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या किसी धर्मोपदेश सुनने के लिए कोई भी जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती है।

संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार: अनुच्छेद 29 के तहत अल्पसंख्यक हितों का संरक्षण कोई अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है। भाषा, जाति, धर्म और संस्कृति के आधार पर उसे किसी सरकारी शैक्षणिक संस्था में प्रवेश से नहीं रोक सकते हैं। अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक वर्ग शैक्षणिक संस्था चला सकता है।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार: संवैधानिक उपचारों के अधिकार को डॉ. अंबेडकर ने संविधान की आत्मा बताया था। अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों को बदलने के लिए सभी तरह की कार्यवाही के लिए उच्चतम न्यायालय में आवेदन करने का अधिकार प्रदान किया है। लंबित मुकदमों के न्याय के लिए वरिष्ठ न्यायालय को भेजने का अधिकार प्राप्त है।

निवारक निरोध: संविधान के अनुच्छेद 22 के खंड- 3, 4 ,5 तथा 6 में बताया है कि निवारक निरोध कानून के तहत किसी व्यक्ति को अपराध करने के पहले ही गिरफ्तार कर सकते हैं। निवारक निरोध का उद्देश्य व्यक्ति को दंडित करना नहीं बल्कि उसे अपराध से रोकना है। इसके तहत कोई व्यक्ति गिरफ्तार हुआ है तो उसे तीन महीने तक जेल में रखा जा सकता है। जेल में रखने की समय सीमा बढ़ानी है तो सलाहकार बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती है। इसी के तहत पोटा और टाडा जैसे कानून देश में बनाए गए।

इन्होंने संविधान का प्रारूप बनाया

अर्थशास्त्र से लेकर कानून के जानकार: डॉ. बी.आर अंबेडकर को भारतीय संविधान का आर्किटेक्ट कहा जाता है। ये देश के पहले कानून व न्याय मंत्री थे। कोलंबिया और लंदन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट किया था। राजनीति के भी जानकार थे। 1990 में भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया। मूलत: मध्यप्रदेश के मऊ के रहने वाले थे। कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा देने का विरोध किया था। 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में निधन हुआ।

अंग्रेजी के प्रोफेसर से देश के राष्ट्रपति: डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। बिहार के कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे। 1911 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से जुड़े और महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन व 1920 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया। 11 दिसंबर को संविधान सभा के अध्यक्ष बने। 26 जनवरी 1950 को संविधान के लागू होने के साथ देश के पहले राष्ट्रपति बने। पत्नी के निधन के बाद 14 मई 1962 में पद से इस्तीफा देकर पटना चले गए। 28 फरवरी 1963 को निधन हो गया।

संविधान सभा में मद्रास का नेतृत्व किया: अम्मू स्वामीनाथन का जन्म केरल के पालघाट में हुआ था। संविधान सभा में इन्होंने मद्रास का नेतृत्व किया था। संविधान सभा की बैठक में 24 नवंबर 1949 को अपने भाषण में कहा था कि दुनियाभर के लोग कहते हैं कि भारत में महिलाओं को बराबरी का हक नहीं मिलेगा पर ऐसा नहीं हुआ।

देश को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया: दुर्गाभाई देशमुख का जन्म 1909 में आंध्रप्रदेश में हुआ था। 12 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन में भाग लिया। संसद सदस्य होने के साथ योजना आयोग की अध्यक्ष रहीं। देश में शिक्षा के क्षेत्र में प्रचार प्रसार के लिए 1971 में इन्हेें नेहरू लिट्रेरी अवॉर्ड और 1975 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था।

जनता की बात संविधान सभा तक पहुंचाई: मालती चौधरी का जन्म 1904 में पूर्वी बंगाल में हुआ था। 1921 में 16 की उम्र में शांति निकेतन चली गईं। इनके पति नाबाकु्रष्ण चौधारी 1927 में ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। गांधी जी की पदयात्रा में शामिल हुईं। संविधान के निर्माण में आम जनता की बात को संविधान समिति तक पहुंचाने का काम किया था।

देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री: राजकुमारी अमृत कौर उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली थीं जो देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनीं। 10 साल पद पर बनी रहीं। दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीटïयूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स), सेंट्रल लेप्रोसी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट और टीबी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की स्थापना की थी।

हाथ से लिखा गया संविधान: भारत के संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है जो कुल 465 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 22 भागों में विभाजित है। निर्माण के समय 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे। संविधान हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था।

दूसरे देशों के संविधान से मदद: देश का संविधान बनाने में दूसरे देशों के संविधान से भी मदद ली गई। आजादी, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत को फ्रांस के संविधान से लिया गया है। पंचवर्षीय योजना की व्यवस्था को सोवियत संघ से आई। अन्य देशों से भी कुछ बिंदुओं को देशहित में रखा गया।

संसद का संविधान हॉल: संसद के संविधान हॉल को आज के समय सेंट्रल हॉल के रूप में जाना जाता है। हॉल की ऊंची छत और दीवारों पर लगी लाइटें इसकी शोभा हैं। संविधान हॉल में सबसे आगे पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद व अन्य सदस्य बैठते थे।

अशोक लाट भारत का प्रतीक: वाराणसी के सारनाथ संग्रहालय में संरक्षित अशोक लाट को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया। लाट में चार एशियाई शेर हैं जिसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा है जो देश के लिए शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक है।

भारतीय संविधान पर एक नजर

09 दिसंबर 1946 को संवैधानिक सभा के सदस्यों की पहली बैठक नई दिल्ली में हुई थी।
165 दिन में कुल ग्यारह सत्र चले, जिसमें 114 दिन संवैधानिक मसौदा तैयार करने में लगा।
2 साल 11 महीने 17 दिन का समय संविधान लिखने में लगा।
389 सदस्यों का चुनाव संविधान लिखने के लिए हुआ था पाकिस्तान के बंटवारे के बाद सदस्यों की संख्या 299 पहुंच गई थी जिसमें 15 महिलाएं भी थीं।
292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, चार चीफ कमिश्नर, 93 रियासतों के प्रतिनिधि शामिल थे। हैदराबाद केवल एक ऐसी रियासत थी जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में शामिल नहीं हुए थे।
7 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष चुने गए जो अंत तक पद पर रहे।
13 दिसंबर 1946 को पं. जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा का औपचारिक उद्देश्य पारित किया था।
22 जनवरी 1947 को संवैधानिक सभा द्वारा तैयार मसौदा मान्य
14 अगस्त 1947 को संवैधानिक सभा के सदस्य संसद के संविधान सभागार में मिले और मध्यरात्रि को देश में विधानसभाओं के गठन को मंजूरी दी गई थी।
29 अगस्त 1947 को संविधान सभा में डॉ. बी.आर अंबेडकर के नेतृत्व में ड्राफ्टिंग कमेटी बनाने का फैसला किया गया। कुल 7,635 संसोधनों में से 2,473 को मंजूरी मिली थी।
26 नवंबर 1949 को संवैधानिक सभा द्वारा तैयार किए गए भारतीय संविधान को मंजूरी मिली।
24 जनवरी 1950 को सभी 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किया जो देश के लिए सुनहरा अवसर था।
26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान (कानून) को पूरे देश में एक साथ लागू कर दिया गया।
6.3 करोड़ रुपए का खर्च (अनुमानित) संविधान का मसौदा तैयार करने में आया।
1950 में पारित संविधान की कॉपी को हीलियम से बनी फाइल में संसद भवन में सहेज कर रखा गया है।
103 संसोधन संविधान में अब तक हो चुके हैं। 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण।

आजादी से लेकर अब तक का सफर

1947 देश अंग्रेजी हुकूमत से आजाद
1948 महात्मा गांधी की हत्या।
1948 में भारतीय सैनिकों का प्रिंसली स्टेट हैदराबाद पर आक्रमण कर कब्जा
1951 प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पहली पंचवर्षीय योजना लागू की।
1965 जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध
1966 पंजाब तीन राज्यों में बंटा, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा
1967 भारत सरकार ने किसानों के लिए हरित क्रांति की शुरुआत की थी।
1969 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना हुई थी।
1974 भारत ने राजस्थान के पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण किया।
1999 प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली- लाहौर बस सेवा शुरू की।
2010 में पहली बार महाराष्ट्र की एक महिला को आधार कार्ड जारी हुआ।
2018 पहली बार आम बजट और रेल बजट एक साथ पेश किया गया।
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