अटल बिहारी वाजपेयी को सम्मान देने घुटनों के बल झुके ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए दोनों का खास रिश्ता दरअसल बात 1977 की है, जब इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रामलीला मैदान में एक रैली थी। वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह ने इस किस्से को बीबीसी के साथ साझा किया है। उनके मुताबिक रैली में वाजपेयी को भी भाषण देना था। ये शायद ‘विंटेज वाजपेयी’ का सर्वश्रेष्ठ रूप था। हजारों लोग कड़कड़ाती सर्दी और बूंदाबांदी के बीच वाजपेयी को सुनने के लिए जमा हुए थे। इसके बावजूद कि तत्कालीन सरकार ने उन्हें रैली में जाने से रोकने के लिए उस दिन दूरदर्शन पर 1973 की सबसे हिट फिल्म ‘बॉबी’ दिखाने का फैसला किया था।
INTERVIEW मुरली मनोहर जोशीः सॉफ्ट हिंदुत्व वाले नहीं समन्वयवादी नेता थे ‘अटल’ तवलीन के मुताबिक, “रैली 4 बजे शुरू हुई थी, अटल जी की बारी आते-आते रात के 9 से ज्यादा का समय हो गया, लेकिन इसके बावजूद उनको सुनने वाले हजारों की संख्या में डटे रहें।” सरकार की मंशा साफ थी, वह नहीं चाहती थी कि लोग विपक्ष या वाजपेयी के भाषण सुनने पहुंचे। लेकिन वाजपेयी का जादू ही ऐसा था कि लोगों के लिए उनसे बढ़कर और कुछ नहीं था। नतीजा सरकार की एंटरटेनमेंट ट्रिक पूरी तरह फेल हो गई और बड़ी संख्या में लोगों ने अपने प्रिय नेता का भाषण सुना भी और सराहा भी।