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क्या दलित वोट बैंक पाने का एकलौता रास्‍ता अनशन ही बचा है?

locationनई दिल्लीPublished: Apr 09, 2018 05:11:19 pm

Submitted by:

Shivani Singh

पहले विपक्ष कूदी अनशन की राजनीति में अब भाजपा भी अनशन की राजनीति शुरू कर रही है। 12 अप्रेल को भाजपा सांसद अपने अपने क्षेत्र में रखेंगे उपवास।

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नई दिल्ली : 2019 लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम वक्‍त बचा है, ऐसे में राजनीतिक पार्टियां देश के हर वर्ग को लुभाने की कोशिश में लगी हैं। देश के मौजूदा हालात पर नजर डालें तो अभी दलित मुद्दा सबसे ज्‍यादा चर्चा में है। भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस या फिर सपा-बसपा सबका दलित प्रेम जाग गया है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि सभी जानते हैं कि दलितों का वोट उनके लिए काफी महत्‍वपूर्ण है। यही वजह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां दलितों को लुभाने के लिए एक नया मास्टर प्‍लान बनाया है। वह है प्‍लान है अनशन का।
यही वजह है कि अनशन के माध्यम में दलितो के प्रति सहानभूति जताने के लिए राजनीतिक पार्टियां उपवास से लेकर धरना प्रदर्शन सब करने में लगी हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का उपवास रखना है। राहुल के बाद अब भाजपा की तरफ से भी दलितों के मुद्दे पर उपवास की खबर सामने आने लगी हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब भाजपा भी 12 अप्रैल को अनशन पर बैठने जा रही है, लेकिन इन सब के बीच एक सवाल उठना लाजमी है कि दलित वोट बैंक के लिए अनशन इतना जरूरी क्‍यों हो गया है? क्‍या किसी और तरीके से विरोध-प्रदर्शन नहीं किया जा सकता?
कांग्रेस का अनशन

सोमवार को राहुल करीब 2 घंटे के उपवास पर बैठेंगे। इसके साथ ही सीबीएसइ पेपर लीक, पीएनबी घोटाले, कावेरी मुद्दे, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जे देने और सबसे खास दलितों के खिलाफ हो रहे हमले के खिलाफ वह धरने पर बैठे। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के सभी प्रदेश इकाइयों के प्रमुखों को समाज में सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी उपवास रखने का निर्देश दिया था। इसके बाद आज सोमवार को दिल्ली के अलावा पूरे देश में तमाम नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस मुख्यालयों पर उपवास रख रहे हैं।
भाजपा का अनशन

दलितों को लुभाने के लिए राहुल के अनशन कार्ड को मात देने के लिए भाजपा ने भी अनशन का ऐलान किया है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि संसद के कामकाज में व्‍यवधान की ओर जनता का ध्‍यान आकृष्‍ट करने के लिए बीजेपी सांसद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में 12 अप्रैल को एक दिन का उपवास रखेंगे। ऐसी खबरें हैं कि इस अनशन का मुख्य उद्देश्य दलितों को लुभाना है।
दलितों पर इतना फोकस क्यों?

देश में जो मौजूदा स्थिति चल रही है, उसमें दलित सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद खास हो गए हैं। ऐसा नहीं की पहली बार राजनीतिक पार्टियां दलितों को लुभाने में लगी हैं। दलित हमेशा से ही राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक की भूमिका निभाते आए हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में दलितों पर ज्यादा फोकस का कारण है हाल ही में हुए दलित आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गई गाइडलाइन है। सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दलित आरक्षण में गाइड लाइन जारी करने के बाद से दलितों में आक्रोश देखा जा रहा है। इस फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान किया गया था। इस बंद में हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति आग के हवाले कर दी गई। कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।
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