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चंदा कोचर के खिलाफ FIR दर्ज करना सीबीआई ऑफिसर को पड़ा महंगा, जेटली ने कर दिया रांची तबादला

locationनई दिल्लीPublished: Jan 27, 2019 01:08:04 pm

Submitted by:

Dhirendra

चंदा कोचर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने वाले एसपी का तबादला दिल्‍ली से रांची होने पर सीबीआई में एक बार फिर हलचल की स्थिति है। माना जा रहा है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद से जेटली नाराज थे।
 

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चंदा कोचर के खिलाफ FIR दर्ज करना सीबीआई ऑफिसर को पड़ा महंगा, जेटली ने कर दिया रांची तबादला

नई दिल्‍ली। चंदा कोचर के खिलाफ FIR दर्ज करने वाले सीबीआई बैंकिंग ऐंड सिक्यॉरिटीज फ्रॉड सेल के एसपी सुधांशु धर मिश्रा का ट्रांसफर रांची होने से यह महकमा एक बार सुर्खियों में आ गया है। मिश्रा की जगह कोलकाता में सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा में एसपी रहे बिस्वजीत दास को इसका चार्ज दिया गया है। वहीं सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा दिल्‍ली के नए एसपी सुदीप रॉय बनाए गए हैं। रॉय कोलकाता सीबीआई इकोनोमिक ऑफेंस विंग चार में एसपी पद पर तैनाथ थे। बता दें कि आईसीआईसीआई बैंक (आईसीआईसीआई ) की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के अलावा दीपक कोचर, वीएन धूत और अन्य के खिलाफ दर्ज एएफआईआर पर सुधांशु मिश्रा ने दस्तखत किए थे। आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन मामले में 22 जनवरी को सुधांशु धर मिश्रा ने यह साइन किए थे।
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एफआईआर होने पर जेटली ने दी थी चेतावनी
दो दिन पहले चंदा कोचर मामले में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सीबीआई को निशाने पर लिया था। उन्होंने सीबीआई को दुस्साहस से बचने तथा सिर्फ दोषियों पर ध्यान देने की नसीहत दी थी। जेटली ने यह टिप्पणी ऐसे समय की थी जब एक दिन पहले सीबीआई ने चंदा कोचर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में बैंकिंग क्षेत्र के केवी कामत तथा अन्य को पूछताछ के लिए नामजद किया था। जेटली ने ट्वीट किया था कि भारत में दोषियों को सजा मिलने की बेहद खराब दर का एक कारण जांच तथा पेशेवर रवैये पर दुस्साहस एवं प्रशंसा पाने की आदत का हावी हो जाना है।
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पेशेवर जांच और दुस्‍साहस में बताया अंतर
जेटली ने ट्वीट कर कहा था कि पेशेवर जांच और जांच के दुस्साहस में आधारभूत अंतर है। हजारों किलोमीटर दूर बैठा मैं जब आईसीआईसीआई मामले में संभावित लक्ष्यों की सूची पढ़ता हूं तो एक ही बात दिमाग में आती है कि लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय अंतहीन यात्रा का रास्ता क्यों चुना जा रहा है? यदि हम बैंकिंग उद्योग से हर किसी को बिना सबूत के जांच में शामिल करने लगेंगे तो हम इससे क्या हासिल करने वाले हैं या वास्तव में नुकसान उठा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि अधिकारियों को कुछ पहलुओं का गंभीरता से ध्‍यान रखना चाहिए।
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