दो दिन पहले चंदा कोचर मामले में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सीबीआई को निशाने पर लिया था। उन्होंने सीबीआई को दुस्साहस से बचने तथा सिर्फ दोषियों पर ध्यान देने की नसीहत दी थी। जेटली ने यह टिप्पणी ऐसे समय की थी जब एक दिन पहले सीबीआई ने चंदा कोचर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में बैंकिंग क्षेत्र के केवी कामत तथा अन्य को पूछताछ के लिए नामजद किया था। जेटली ने ट्वीट किया था कि भारत में दोषियों को सजा मिलने की बेहद खराब दर का एक कारण जांच तथा पेशेवर रवैये पर दुस्साहस एवं प्रशंसा पाने की आदत का हावी हो जाना है।
जेटली ने ट्वीट कर कहा था कि पेशेवर जांच और जांच के दुस्साहस में आधारभूत अंतर है। हजारों किलोमीटर दूर बैठा मैं जब आईसीआईसीआई मामले में संभावित लक्ष्यों की सूची पढ़ता हूं तो एक ही बात दिमाग में आती है कि लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय अंतहीन यात्रा का रास्ता क्यों चुना जा रहा है? यदि हम बैंकिंग उद्योग से हर किसी को बिना सबूत के जांच में शामिल करने लगेंगे तो हम इससे क्या हासिल करने वाले हैं या वास्तव में नुकसान उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को कुछ पहलुओं का गंभीरता से ध्यान रखना चाहिए।