विधानसभा भंग पर नेताओं की प्रतिक्रिया
वहीं विधानसभा भंग होने के बाद उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि वो पांच महीने से विधानसभा भंग करने की मांग कर रहे थे। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन के साथ सरकार बनाने पर बातचीत कर रही थी। हम जल्द से जल्द सूबे में चुनाव चाहते हैं। इस दौरान आजाद ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी का तानाशाही रवैया सामने आ गया।
राज्यपाल के फैसले पर पीडीपी ने उठाए सवाल वहीं PDP ने राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाए हैं। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राज्यपाल को आपत्ति क्या थी। सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए था। हमारा दावा वैद्य था। वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा ऐसी विधानसभा भंग करना अलोकतांत्रिक है। केंद्र के कहने पर राज्यपाल ने विधानसभा भंग की है। महबूबा मुफ्ती को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।
पीडीपी में बगावत की खबर
गौरतलब है कि इससे पहले राज्य में नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए पीडीपी ने राज्यपाल को दावा पेश किया था। पीडीपी ने 56 विधायकों का समर्थन पत्र राजभवन भेजा था। लेकिन थोड़ी देर में ही पीडीपी में बगावत की खबर आ गई। पीडीपी के ही विधायक इमरान अंसारी ने दावा किया है कि उनके पास 18 विधायक हैं। पीडीपी और सज्जाद लोन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
क्या है जम्मू कश्मीर में सीटों का आंकड़ा
गौरतलब है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की जरूरत थी। पीडीपी ने 56 विधायकों का दावा पेश किया था। लेकिन इससे पहले विधानसभा भंग कर दी गई है। मौजूदा समय में जम्मू एवं कश्मीर में राज्यपाल शासन है। 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे हो जाएंगे। इस साल जून में भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था। राज्य के 87 विधानसभा सीट में पीडीपी के पास 28 सीटें हैं। वहीं कांग्रेस के पास 12 और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 सीटें । जबकि भाजपा के पास 25 सीटें हैं। बहुमत के लिए 44 सीटों की जरूरत है। जबकि महागठबंधन के पास 55 सीट है।