उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के पंजीयक के समक्ष आवेदन दायर कर सूचित किया है कि वह राज्य में आगामी पंचायत और नगर निकाय चुनावों के लिए चल रही तैयारियों के मद्देनजर सुनवाई पर स्थगन की मांग करने जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि संबंधित अनुच्छेद के समर्थन में लोगों के समूहों ने गूल, संगलदान और बनिहाल सहित कई स्थानों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए। पर्वतीय जिलों के कई क्षेत्रों में सड़कों से स्थानीय सार्वजनिक परिवहन नदारद रहा।
हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता बिलाल ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि 35ए के कारण कश्मीर एक है। इसे हटाया गया तो जंग छिड़ जाएगी। भारत सरकार के लिए इस जंग से निपटना आसान नहीं रहेगा। हाल ही में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता जावेद राणा ने कहा कि बंद के दौरान कोई तिरंगा नहीं उठाएगा। ऐसा करने पर अंजाम बुरा होगा। नेशनल कान्फ्रेंस, पीडीपी, माकपा और कांग्रेस की राज्य इकाई सहित राजनीतिक दल और अलगाववादी अनुच्छेद 35ए पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। इस अनुच्छेद के चलते जम्मू और कश्मीर से बाहर के लोग राज्य में कोई भी अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते।
दिल्ली की एक एनजीओ ‘वी द सिटिजंस’ ने शीर्ष अदालत में इस अनुच्छेद को चुनौती दी है। इस मामले में केंद्र सरकार ने पिछले महीने कहा था कि इस अनुच्छेद को असंवैधानिक करार देने से पहले इस पर वृहद चर्चा की जरूरत है। याचिकाकर्ता संगठन का कहना है कि 1954 में राष्ट्रपति ने इस अनुच्छेद को शामिल करने के लिए संविधान में संशोधन नहीं किया था, बल्कि यह सिर्फ एक अस्थायी बंदोबस्त था।
अनुच्छेद 35ए राष्ट्रपति के 1954 के आदेश से संविधान में शामिल किया गया था जो जम्मू कश्मीर के स्थानीय निवासियों को विशेष दर्जा प्रदान करता है। इसके अंतर्गत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं। वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में अनुच्छेद 35ए का प्रावधान कर जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार दिया गया था और साथ ही इसके तहत राज्य के बाहर शादी करने वाली महिलाएं राज्य में संपत्ति के अधिकार से वंचित हो जाती हैं। यह अनुच्छेद राज्य के नीति निर्माताओं को राज्य के लिए कानून बनाने की पूरी अजादी देता है, जिसे कानूनी तौर पर चुनौती भी नहीं दी जा सकती।