बुधवार रात को राजभवन से जारी बयान में कहा गया है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो सरकार बनाने की घुड़दौड़ में बड़े पैमाने पर विधायकों की खरीद-फरोख्त होती। इस बात की आशंका एवं विरोधी राजनीतिक विचारधारा के राजनीतिक दलों के साथ मिलकर स्थायी सरकार दे पाना नामुमकिन होने जैसी बातों की वजह से विधानसभा को भंग करने से बेहतर विकल्प और कुछ नहीं था। राजभवन की ओर से जारी बयान कहा गया है कि राज्यपाल ने फैसला किया है कि ऐसी परिस्थिति में विधानसभा भंग करना ही सर्वोत्तम विकल्प है। ताकि राज्य को स्थायित्व एवं सुरक्षा प्रदान किया जा सके और स्पष्ट बहुमत के साथ उचित प्रक्रिया से सरकार बनवाने के लिए सही समय पर चुनाव करवाए जा सकें।
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया, तो गवर्नर ने विधानसभा ही भंग कर दी। उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि पीडीपी के दावे के बाद दो विधायकों वाले दल पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने भी भाजपा एवं अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके बाद राजभवन से जारी शासकीय अधिसूचना में विधानसभा भंग करने का ऐलान कर दिया गया। कुछ देर बाद जारी बयान में कहा गया कि हॉर्स ट्रेन को रोकने के लिए और कोई विकल्प नहीं था। साथ ही दो दलों की ओर से सरकार बनाने के दावे से साफ हो गया था कि बहुमत का आंकड़ा किसी के पास नहीं है।