एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल की ओर से दोनों नेताओं उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को सशर्त छोड़ने का ऑफर दिया गया था। दोनों नेताओं के सामने जो शर्त रखा गया था उनमें कहा गया था कि अनुच्छेद 370 को पंगु किए जाने के खिलाफ आप प्रदर्शन नहीं करेंगे और लोगों को इकट्ठा नहीं करेंगे तो आप दोनों को रिहा कर दिया जाएगा।
लेकिन, दोनों ने राज्यपाल के इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया। हालांकि, दोनों नेता राज्य की मौजूदा हालात पर नजर बनाए हुए हैं। पढ़ें- केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 2021 में होंगे विधानसभा चुनाव! परीसिमन को तैयार चुनाव आयोग
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के दोनों नेताओं को पहले नजरबंद किया गया और फिर 6 अगस्त को हिरासत में ले लिया गया था। शुरुआत में दोनों नेताओं को हरि निवास गेस्ट हाउस में रखा गया था। लेकिन, बीजेपी को लेकर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बीच नोकझोंक हो गई। जिसके बाद दोनों को अलग-अलग गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया था।
यहां आपको बता दें कि दोनों नेताओं ने शुरू से ही केन्द्र सरकार के फैसले का विरोध किया था। राज्य में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किए जाने के बाद केंद्र सरकार महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के निशाने पर है।
पढ़ें- सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी पर साधा निशाना, बोले- मेरी बातों का गलत मतलब निकाला महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 हटाने पर कहा था कि यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है। जम्मू-कश्मीर के नेतृत्व ने 1947 में भारत के साथ जाने का जो फैसला लिया था, वो गलत साबित हो गया।