राजनीति

जाट आरक्षण: वाजपेयी सरकार ने सीकर से की थी शुरूआत

जाट आरक्षण की शुरूआत 16 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने की थी

Mar 17, 2015 / 01:18 pm

शक्ति सिंह

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जाट आरक्षण के आदेश को रद्द कर दिया। यूपीए सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहाकि, आरक्षण केवल जाति के आधार पर नहीं दिया जा सकता। इसका आधार सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन होना चाहिए। लेकिन जाट आरक्षण की शुरूआत 16 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने की थी जिसके बाद इसकी मांग अन्य राज्यों से भी आने लगी।

1999 में सीकर से हुई शुरूआत
एक वोट से सरकार गिर जाने के बाद लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने राजस्थान के सीकर में जाटों को आरक्षण देने की घोषणा की थी। इसके तहत भरतपुर और धौलपुर के जाटों को छोड़कर राजस्थान के जाट समुदाय को आरक्षण की सुविधा देने का वादा किया गया। जाटों के साथ ही मेव, विश्नोई समुदाय को भी इसमें शामिल करने की घोषणा हुई। भरतपुर और धौलपुर के जाटों को राजघराने से जुड़ा हुआ माना गया और इसके चलते उन्हें इससे अलग रखा गया।

अन्य राज्यों से भी उठी मांग
इसके बाद हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के जाट भी आरक्षण देने की मांग करने लगे। इसे लेकर 2004 के बाद से कई बड़े प्रदर्शन और आंदोलन हुए। तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2014 में आम चुनावों से ठीक पहले चार मार्च को इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्टे लगाने को लेकर याचिका भी दायर की गई थी लेकिन उस समय इस याचिका को खारिज कर दिया गया था। सत्ता संभालने के बाद अगस्त 2014 में मोदी सरकार ने भी इसे जारी रखा।

पिछड़ा आयोग की राय दरकिनार
जाटों को आरक्षण देने को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने भी आपत्ति जताई थी। इसमें पिछड़ा आयोग ने कहा था कि, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े नहीं है। जाट कृषि कार्य से जुड़े हैं लेकिन अब वे काफी आगे बढ़ चुके हैं और राजस्थान में वे एक राजनीतिक ताकत बन चुके हैं। उन्होंने आजादी की लड़ाई और मध्यकालीन लड़ाइयों में भी अपना योगदान दिया था, इसी के चलते उन्हें मार्शल कौम कहा जाता है। 

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