राजनीति

झारखंड के 10 विधानसभा क्षेत्रों में ‘आधी आबादी’ निर्णायक

झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी चरम पर
10 सीटों पर महिला मतदाताओं का दबदबा

नई दिल्लीOct 17, 2019 / 05:53 pm

Kaushlendra Pathak

नई दिल्ली। झारखंड में इस साल के अंत में होने वाले संभावित चुनाव को लेकर जहां सभी राजनीतिक दल अपने दम-खम से चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं, वहीं निर्वाचन आयोग भी अपनी तैयारी को लेकर अंतिम रूप देने में जुटा है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य की 10 ऐसी सीटें हैं, जहां महिला मतदाता प्रत्याशियों का राजनीतिक भविष्य तय करेंगी। इन 10 सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाता से ज्यादा है।
झारखंड में खूंटी, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकाड़ीपाड़ा, घाटशिला, खरसांवा, चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर और सिमडेगा, ऐसी सीटों में शुमार हैं, जहां महिलाएं इस चुनावी दंगल में निर्णायक भूमिका निभाएंगी। झारखंड राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार चौबे ने बताया कि राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 26 लाख 17 हजार 612 हो गई है, जिसमें पुरुष मतदाता एक करोड़ 18 लाख 16 हजार 98 हैं, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या एक करोड़ 8 लाख, एक हजार 274 है। तीसरे जेंडर मतदातओं की संख्या 240 है।
उन्होंने बताया कि इस बार मतदाताओं के लिंगानुपात में काफी वृद्धि हुई है। पहले यह 908 थी, जो इस बार बढ़कर 914 हो गई है। चौबे ने बताया कि 10 सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है। खूंटी विधानसभा सीट में पुरुष मतदाताओं की संख्या जहां 1,02,993 है, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1,04,861 है। इसी तरह महेशपुर विधनसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता 1,06,490 हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,06,882 और शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,01,473 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,02,578 है। इसी तरह 10 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है।
जानकार कहते हैं कि ये 10 विधानसभा सीटें मूल रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं। रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय विभाग के प्रोफेसर गिरधारी गंझु कहते हैं कि आमतौर पर आदिवासी समाज में पुरुष और महिला में बहुत ज्यादा भेदभाव देखने को नहीं मिलता, इस कारण पुरुषों व महिलाओं की संख्या में बहुत अंतर नहीं होता। उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुरुष काम करने अन्य क्षेत्रों में चले जाते हैं और मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान उनका नाम कट जाता है। इससे भी कुछ क्षेत्रों में पुरुष मतदाताओं की संख्या की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है।

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