याचिकाकर्ता ने इस मामले में सूचना आयोग द्वारा 23 नवम्बर, 2016 को पारित आदेश को चुनौती दी है। न्यायाधीश संगीत लोढ़ा की एकलपीठ में आरटीआई कार्यकर्ता जैन ने स्वयं पैरवी करते हुए कहा कि आयोग का निर्णय मनमाना और विधि के विपरीत है। उन्होंने सूचना आयोग से आरटीआई के तहत द्वितीय अपील व परिवाद में आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारियों पर लगाई गई शास्ती और क्षतिपूर्ति की सूचना और वर्ष 2014-15 में द्वितीय अपीलें प्राप्त होने और रजिस्टर्ड करने से सम्बन्धित सूचना सीडी में मांगी थी। उनका कहना था कि सूचना आयोग में द्वितीय अपीलों का नियमित रूप से इन्द्राज नहीं किया जाता। अलग-अलग कारणों से अपीलें रद्द कर दी जाती है।
सूचनाएं उपलब्ध करवाने से इनकार आयोग में हो रही अनियमितताओं का खुलासा इन सूचनाओं से हो सकता है। इसलिए अप्रार्थी ने सूचनाएं उपलब्ध करवाने से इनकार कर दिया। आयोग ने आंशिक सूचना ही सीडी में उपलब्ध करवाई। जबकि आयोग ने एक अन्य आवेदक को सूचना सीडी में उपलब्ध करवा दी। आयोग का यह निर्णय अनुचित व अविधिक है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त, आयोग के प्रथम अपीलीय अधिकारी और राज्य लोक सूचना अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए।