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कर्नाटक चुनाव: अगर कांग्रेस का नंबर गिरा तो भाजपा का हौसला बढ़ेगा

locationनई दिल्लीPublished: Apr 16, 2018 11:18:24 am

Submitted by:

Dhirendra

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कर्नाटक विधानसभा का चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अहम हो गया है।

modi rahul
नर्इ दिल्‍ली। कर्नाटक का चुनाव इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य में तो जीडीएस के लिए क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्‍य में अहम है। ऐसा इसलिए कि जहां दक्षिण भारत में भाजपा पार्टी के जनाधार को बढ़ाने और चुनावी जीत हासिल करने के फिराक में है वहीं यहां की जीत कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के लिए राजनीतिक अभयदान साबित होगा। अगर कांग्रेस हारी या विधायकों के नंबर गिरे, तो भाजपा का हौसला बढ़ेगा और वो दावा कर सकती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में विजेता वही होंगे। कर्नाटक चुनाव हर लिहाज से अहम हो गया है।
देवगौड़ा परिवार की राजनीति दाव पर
अगर कांग्रेस के सीटों की संख्‍या में भी कमी आई तो इससे भाजपा का हौसला बढ़ेगा और वो इसे लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी। साथ ही भाजपा दक्षिण भारत की पार्टी के रूप में भी स्‍थापित होगी। जहां तक कर्नाटक में जीडीएस का सवाल है कि पूर्व पीएम देवगौड़ा और उनके परिवार की राजनीति दाव पर है। उन्‍हें कर्नाटक की राजनीति में गेम चेंजर माना जा रहा है। अगर उनकी पार्टी बेहतर परफॉर्म करती है तो साफ है कि इससे कांग्रेस का बहुत बड़ा नुकसान होगा। इसलिए कांग्रेस सता में बने रहने का हर संभव प्रयास करेगी।
2014 के बाद कांग्रेस ज्‍यादातर चुनाव हारी है
कांग्रेस हाल के दिनों में ज्‍दातर चुनाव हारी है। इसलिए कर्नाटक का चुनाव उसके बेहद महत्वपूर्ण है। पंजाब में कांग्रेस को जीत मिली। बिहार में वो आरजेडी और जेडीयू के गठबंधन में जूनियर पार्टनर थी। वहां कांग्रेस को जीत मिली लेकिन बाद में बिहार की कहानी बदल गई। गोवा, मेघालय समेत अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा की तुलना में अच्छा परफॉर्म किया, लेकिन सरकार बनाने में वो असफल रही।
पार्टी में सर्वस्‍वीकार्य नेता हैं सिद्धारमैया
सिद्धारमैया अपने काम और छवि के बल पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए कर्नाटक में कांग्रेस की कहानी अलग है। कई राज्यों में देखा गया है कि कांग्रेस के अंदर सीएम पद के दावेदार को लेकर पार्टी में ही दो मत रहे हैं। लेकिन कर्नाटक कांग्रेस में सिद्धारमैया सर्वस्वीकृत नेता हैं। सिद्धारमैया पिछड़ी जाति से आते हैं और कर्नाटक में अगर ओबीसी, दलित व पिछड़े वर्ग को जोड़ दिया जाए तो आबादी के आधार पर एक प्रचंड बहुमत दिखता है। लिंगायत समुदाय के बारे में माना ये जाता है कि कर्नाटक में उनकी आबादी दस प्रतिशत है। भाजपा के सीएम पद के दावेदार और सूबे के पूर्व सीएम येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं। लिंगायतों को भाजपा का पारंपरिक वोटर भी कहा जाता है। लेकिन लिंगायतों को धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों की श्रेणी में जगह देकर भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगा दी है।
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