इससे पहले बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद मंगलवार शाम को केंद्रीय पर्यवेक्षकों धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी और कर्नाटक भाजपा प्रभारी अरुण सिंह की देखरेख में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई। इसमें येदियुरप्पा ने अपने करीबी और लिंगायत समुदाय से आने वाले राज्य के गृहमंत्री बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा, जिन्हें सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया। देर रात बोम्मई ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात की।
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बसवराज बोम्मई के साथ जिन तीन नेताओं के नाम बतौर डिप्टी सीएम तय किए गए हैं उनमें अशोका, गोविंद करजोल और श्रीरामुलु के नाम शामिल हैं।
बसवराज बोम्मई के साथ जिन तीन नेताओं के नाम बतौर डिप्टी सीएम तय किए गए हैं उनमें अशोका, गोविंद करजोल और श्रीरामुलु के नाम शामिल हैं।
येदियुरप्पा का ही रहेगा राज
पद से इस्तीफा देने के बाद भी कर्नाटक की सियासत में बीएस येदियुरप्पा का ही राज रहने वाला है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा के खास हैं। ऐसे में अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की कमान येदियुरप्पा के हाथ में ही रहेगी।
पद से इस्तीफा देने के बाद भी कर्नाटक की सियासत में बीएस येदियुरप्पा का ही राज रहने वाला है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा के खास हैं। ऐसे में अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की कमान येदियुरप्पा के हाथ में ही रहेगी।
नए CM बसवराज बोम्मई को येदियुरुप्पा का शिष्य और बेहद चहेता माना जाता है। विधायक दल की बैठक में येदियुरुप्पा ने ही बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा था। येदियुरप्पा ही बसवराज को जेडीयू से भारतीय जनता पार्टी में लाए थे। लिहाजा बोम्मई और येदियुरप्पा के बीच कनेक्शन काफी स्ट्रॉन्ग है।
बीजेपी ने क्यों मानी येदियुरप्पा की बात
कर्नाटक की राजनीति में टिके रहने के लिए लिंगायत फेक्टर को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। बीएस येदियुरप्पा भी इस समुदाय से आते थे और बोम्मई का भी लिंगायत समुदाय से गहरा नाता है। यही वजह है कि बीजेपी येदियुरप्पा के प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सकी। बीजेपी 2013 में लिंगायत समुदाय को नजरअंदाज करने का खामियाजा भुगतत चुकी है।
कर्नाटक की राजनीति में टिके रहने के लिए लिंगायत फेक्टर को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। बीएस येदियुरप्पा भी इस समुदाय से आते थे और बोम्मई का भी लिंगायत समुदाय से गहरा नाता है। यही वजह है कि बीजेपी येदियुरप्पा के प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सकी। बीजेपी 2013 में लिंगायत समुदाय को नजरअंदाज करने का खामियाजा भुगतत चुकी है।
येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बीजेपी के लिए बहुत जरूरी था कि लिंगायत समुदाय को साध कर रखे। बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं, इनके पिता एसआर बोम्मई 1988 में 281 दिन के लिए मुख्यमंत्री रहे थे।
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बसवराज पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। खेती से जुडे़ होने के नाते कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है। बोम्मई ने 12 वर्ष पहले जेडीयू छोड़ बीजेपी का दामन थामा। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली 100 फीसदी पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है। महज 12 वर्षों में बसवराज में बीजेपी में अपनी एक अलग जगह बनाई और सीएम पद तक का सफर तय कर डाला।
बसवराज पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। खेती से जुडे़ होने के नाते कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है। बोम्मई ने 12 वर्ष पहले जेडीयू छोड़ बीजेपी का दामन थामा। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली 100 फीसदी पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है। महज 12 वर्षों में बसवराज में बीजेपी में अपनी एक अलग जगह बनाई और सीएम पद तक का सफर तय कर डाला।