जम्मू-कश्मीर के बाद अब कर्नाटक सरकार राज्य का अलग झंडा चाहती है। इसके लिए कर्नाटक सरकार ने एक कमेटी का गठन भी कर दिया है। जिसमें 9 सदस्य हैं।
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के बाद अब कर्नाटक सरकार राज्य का अलग झंडा चाहती है। इसके लिए कर्नाटक सरकार ने एक कमेटी का गठन भी कर दिया है। जिसमें 9 सदस्य हैं। ये कमेटी झंडे के डिजाइन को तैयार करवाने से लेकर उसकी कानूनी मान्यता तक सभी पहलुओं पर विचार करेगी। लेकिन कर्नाटक सरकार को गृह मंत्रालय से झटका मिला है। गृहमंत्रालय ने अलग झंडे के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
एक देश में दो झंडे नहीं
कर्नाटक के संस्कृतिक विभाग के सचिव को इस कमेटी की कमान सौंपी गई है। वहीं इस मामले पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा क्या संविधान में राज्य के ध्वज रखने को रोकने के लिए कोई प्रावधान है। इस फैसले को चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। यदि बीजेपी राज्य के ध्वज का विरोध करती है, तो खुलकर सामने आए और कहे कि वो इसके विरोध में है। दूसरी ओर कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर कर्नाटक के पूर्व सीएम डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि राज्य सरकार की मांग सही नहीं है। भारत एक देश है और एक देश में दो झंडे नहीं हो सकते हैं।
2012 में उठ रही है मांग
सबसे पहले 2012 में भी कर्नाटक में अलग झंडे की मांग उठी थी। उस दौरान तत्कालीन संस्कृतिक मंत्री ने गोविंद एम करजोल ने कहा था कि अलग झंडे से हमारे देश की एकता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचेगा। इसलिए अलग झंडे की मांग किसी भी तरह से सही नहीं है। वहीं जब मामला कोर्ट में पहुंचा था तब भी सरकार ने कोर्ट में कहा था कि राज्य में लाल और पीले रंग का झंडा नहीं हो सकता है। यह संविधान और देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है।
देश की आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हुआ। उस दौरान धारा 370 के तहत यह शर्त रखी गई थी कि जम्मू-कश्मीर का अलग राजकीय ध्वज होगा। तब से अब तक जम्मू-कश्मीर के सभी संवैधानिक कार्यक्रमों में राष्ट्रीय और राजकीय दोनों ध्वज लगाए जाते हैं।