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डीएमके में फूट के आसार, मरीना बीच पर करुणानिधि के बेटे अलागिरी की मौन रैली आज

locationनई दिल्लीPublished: Sep 05, 2018 10:34:51 am

दशकों तक डीएमके प्रमुख रहे करूणानिधि को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके बड़े बेटे अलागिरी आज मरीन बीज dmk dusमौन रैली निकालेंगे।

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डीएमके में फूट के आसार, मरीन बीच पर करुणानिधि के बेटे अलागिरी की मौन रैली आज

नई दिल्‍ली। एमके स्‍टालिन का निर्विरोध डीएमके अध्‍यक्ष चुने जाने के बाद से तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के बड़े बेटे एमके अलागिरी काफी नाराज चल रहे हैं। उन्‍होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। अपना विरोध जताने के लिए आज मरीन बीच पर उन्‍होंने मौन रैली का आयोजन किया है। इस रैली को डीएमके के लिए खतरे की घंटी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि पार्टी की फूट की भी संभावना है। इस रैली के बारे में अलागिरी ने बताया है कि मैं थलैवर (एम करुणानिधि) का बेटा हूं। इसलिए मैं वही करूंगा जो मैंने कहा है।
निष्‍कासन वापस नहीं लिया तो कब्र खोदेगी पार्टी
करुणानिधि के निधन के बाद से ही परिवार में एक बार फिर उत्तराधिकार का विवाद पैदा हो गया था। करुणानिधि के अंतिम संस्कार के दौरान ही अलागिरी ने अपने छोटे भाई और पार्टी के कार्यकारी अध्‍यक्ष स्टालिन को जमकर कोसा था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने पिता की समाधि पर प्रार्थना की और अपनी शिकायतें सामने रखीं जिसे मीडिया फिलहाल नहीं जान पाएगा। अलागिरी ने स्टालिन पर आरोप लगाया था कि वह पार्टी में उनके लौटने की राह में रोड़े अटका रहे हैं और पार्टी के पदों को बेच रहे हैं। इसके साथ ही एमके अलागिरी ने दावा किया कि पार्टी के सभी वफादार कार्यकर्ता उनके साथ हैं और यदि द्रमुक ने उन्हें वापस नहीं लिया तो वह ‘अपनी ही कब्र खोदेगी।
निष्‍ठावान कार्यकर्ता मेरे साथ
आपको बता दें कि करूणानिधि का गत सात अगस्त को निधन हो गया था। पार्टी में उन्हें फिर से शामिल किए जाने के उनके अनुरोध पर द्रमुक की चुप्पी पर अलागिरी ने हालांकि कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। अलागिरी, करूणानिधि की मौत के बाद से यह दावा करते रहे है कि पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता उनके साथ हैं। उन्होंने कहा था कि रैली के बाद डीएमके को खतरे का सामना करना पड़ेगा।
स्‍टालिन के साथ काम करने की जताई इच्‍छा
इससे पहले अलागिरी ने डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन के नेतृत्व को स्वीकार करने की इच्छा जताई थी। पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर एमके स्टालिन के साथ हुए विवाद के बाद करूणानिधि ने अलागिरी और उनके समर्थकों को 2014 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था। तभी से दोनों भाईयों के बीच सियासी जंग जारी है, जो करुणानिधि के निधन के बाद से तेज हो गया है।

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